भारत और नेपाल के संबंधों में कुछ समय तक तनाव देखे जाने के बाद बन रहे सकारात्मक माहौल के बीच भारत को कल से शुरू हो रही नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की चार दिन की भारत यात्रा से ठोस परिणाम निकलने की उम्मीद है। हालांकि भारत चाहता है कि नेपाल अपने नये संविधान को लेकर वहां के नागरिकों और खासतौर पर तराई क्षेत्र में रहने वालों की चिंताओं पर ध्यान दे। भारत को लगता है कि इस संबंध में प्रक्रिया में जितनी देरी होगी, हालात उतने बिगड़ेंगे और फिर से अव्यवस्था की स्थिति बन सकती है।
प्रचंड की यात्रा से पहले भारत ने यह रुख व्यक्त किया है। प्रचंड अपनी यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य भारतीय नेताओं के साथ वार्ता करेंगे। सरकार के सूत्रों ने कहा, ‘‘संविधान में संशोधनों का समर्थन नहीं करने को लेकर अड़े रहे के पी ओली की जगह प्रचंड के प्रधानमंत्री बनने के बाद माहौल और अनुभव सकारात्मक हैं।’
उन्होंने कहा कि प्रचंड इस संबंध में शिकायतों पर ध्यान देने के समर्थन में बोल चुके हैं। सूत्रों ने कहा, ‘‘अब भी बहुत अनिश्चितता है। जितनी देरी होगी, उतना यह मामला जटिल हो जाएगा।’ उन्होंने नेपाल के नेतृत्व के सामने काम की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए कहा कि समान आधार पर आना आसान नहीं है। सूत्रों ने कहा कि संविधान संशोधन को पारित करने के लिए दो-तिहाई बहुमत चाहिए होगा, जो तकनीकी रूप से संभव है लेकिन सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए आसान काम नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा कि वे उचित तरीके से आश्वस्त हैं कि