अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सिखों को मार्शल आर्ट के ट्रेनिंग देने के साथ हथियार रखने की वकालत की है। ऑपरेशन ब्लू स्टार की 38वीं बरसी पर उन्होंने कहा कि हम सिख नौजवानों को हथियारों की ट्रेनिंग देंगे। इसके लिए शूटिंग रेंज बनाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि सिख किसी के ऊपर जुल्म नहीं करते हैं बल्कि वे जुल्म को रोकते हैं। लेकिन आज के वक्त की जरूरत है कि सिखों को हथियार बंद किया जाए।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा सिखों को कमजोर करने की रणनीति आजादी के बाद जवाहर लाल नेहरू के समय में ही तैयार कर ली गई थी। इसी वजह से 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम दिया गया। नेहरू शुरू से ही सिखों के खिलाफ हो गए थे। उनकी जो भी राजनीति थी उसका ध्येय सिखों को कमजोर करना था।

जत्थेदार ने पंजाब में हो रहे ईसाई धर्म के प्रचार को लेकर भी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि यह सब एक साजिश के तहत सिख धर्म को कमजोर करने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब जरूरत है कि सिख बुद्धिजीवी अपने एसी कमरों को छोड़ कर घरों से बाहर निकलें और गांवों में जाकर अपना प्रचार करें। ये आज के बदलते वक्त की जरूरत है।

हरप्रीत सिंह ने कहा कि हम धार्मिक तौर पर कमजोर होगें तो आर्थिक तौर पर भी कमजोर हो जाएंगे। फिर सामाजिक तौर राजनीतिक तौर पर भी हमारा प्रभाव खत्म होने लग जाएगा। उन्होंने कहा कि युवा नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं, जिन्हें धर्म के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है। वो नशे से दूर रहें इसके लिए ही मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग शुरू की जा रही है।

क्या था ऑपरेशन ब्लू स्टार

1984 में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार के कारण 493 लोग मारे गए थे। इसमें 83 जवान भी शहीद हुए थे। घटना 6 जून 1984 की है। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद दो सिख सुरक्षाकर्मियों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी थी। इस ऑपरेशन के दशकों बाद भी सिख कौम के जख्म भरे नहीं हैं। आज भी बरसी के दिन स्वर्ण मंदिर में तलवारें लहराई जाती हैं। खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जाते हैं। टकराव की स्थिति आज भी बरकरार है और तनावपूर्ण माहौल बना रहता है।