NEET को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसला सुनाया। सर्वोच्च अदालत ने ग्रेस मार्क्स को रद्द कर दिया और दोबारा परीक्षा करवाने का विकल्प खोल दिया। लेकिन बड़ी बात यह रही कि परीक्षा हर किसी को दोबारा देने का मौका नहीं मिला, सिर्फ जिन 1563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे, उन्हीं को फिर परीक्षा देने का विकल्प मिला। कोर्ट ने कहा कि यह छात्र या तो दोबारा परीक्षा दे सकते हैं वरना ग्रेस मार्क्स हटवाकर जितने भी अंक मिले, उस आधार पर ही काउंसलिंग में बैठें।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?
अब पहली नजर में सुप्रीम कोर्ट का आदेश विरोध कर रहे छात्रों के लिए एक बड़ी राहत है। असल में जब नीट का रिजल्ट आया था, 1563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स मिले थे, आरोप लगे कि बिना किसी आधार के काफी नंबर कई छात्रों के बढ़ा दिए गए। उस वजह से पूरा मैरिट सिस्टम बदल गया, रैंकिंग पर इसका असर पड़ा और पहली एक साथ नीट जैसी मुश्किल परीक्षा के कई सारे टॉपर निकल गए। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी छात्रों के इन आरोपों को गंभीरता से लिया है, इसी वजह से ग्रेस मार्क्स को हटाने का फैसला लिया गया। 24 जून को दोबारा नीट की परीक्षा उन छात्रों के लिए आयोजित की जा रही है जिन्हें ग्रेस मार्क्स मिले थे। इसके ऊपर 30 जून को रिजल्ट में जारी कर दिया जाएगा जिससे काउंसलिंग में देरी ना हो।
सुप्रीम फैसले से छात्र क्यों नहीं खुश?
अब जानकार और विरोध कर रहे छात्र सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का स्वागत तो कर रहे हैं, लेकिन उन्हें इस बात की नाराजगी है कि अभी भी NTA ने धांधली के आरोपों को गंभीरता से नहीं लिया है। असल में इस पूरे विवाद की एक जड़ पेपर लीक से जुड़ी हुई है। ऐसा कहा गया है कि समय रहते पहले ही नीट का पेपर लीक हो चुका था। बिहार में इसे लेकर कुछ गिरफ्तारियां भी हुई हैं, इसी वजह से छात्र भी NTA और उसकी परीक्षा में अपना विश्वास खो चुके हैं। उनका कहना है कि पूरा पेपर ही दोबरा होना चाहिए क्योंकि इस बार विश्वास टूटा है। विश्वास टूटने के भी छात्रों के अपने तीन बड़े कारण हैं-
कारण नंबर 1- पहली बार नीट परीक्षा में 67 छात्रों का टॉप करना
कारण नंबर 2- बिना बताए NTA का कुछ छात्रों को ग्रेस मार्क्स देना
कारण नंबर 3- पेपर लीक के संदिग्ध सबूतों का मिलना और बिहार की FIR
अब यह तीन कारण ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी छात्रों के गुस्से को शांत नहीं होने दे रहे हैं। बड़ी बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी अभी अपनी सुनवाई पूरी नहीं की है। इस समय पेपर लीक और काउंसलिंग वाले मुद्दे पर कोई फैसला नहीं आया है, सिर्फ और सिर्फ ग्रेस मार्क्स को लेकर दोबारा परीक्षा की बात कही गई है। ऐसे में एक बड़ा सवाल यह उठता है कि जब सर्वोच्च अदालत ने अभी तक NTA को क्लीन चिट नहीं दी, सरकार ने कैसे पहले ही सबकुछ भ्रष्टाचार और धांधली मुक्त बता दिया?
सरकार की नीयत पर क्यों उठे सवाल?
अब छात्रों के मन में यह सवाल शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के एक बयान के बाद आ रहा है। असल में धर्मेंद्र प्रधान ने मीडिया से बात करते हुए दो टूक कहा कि मैं साफ कहना चाहता हूं कि कोई धांधली नहीं हुआ है, भ्रष्टाचार का सवाल नहीं उठता। उन्होंने यहां तक कहा कि पेपर लीक के कोई सबूत नहीं मिले हैं, आखिर किस आधार पर ऐसी बातें कही जा रही हैं। अब केंद्रीय मंत्री ने तो अपना रुख साफ कर दिया, लेकिन छात्रों के मन में शक रह गया। जब धर्मेंद्र प्रधान कहते हैं कि पेपर लीक को लेकर कोई सबूत नहीं मिले, विरोध कर रहे छात्र सामने से कई सबूत बता देते हैं। असल में छात्रों के शक करने का आधार बिहार में हुई पुलिस की कार्रवाई है।
पेपर लीक के कौन से सबूत मिले हैं?
5 मई को नीट परीक्षा होने से पहले ही ऐसे आरोप लग चुके थे कि पेपर लीक हुआ है। उस शक के बाद ही बिहार पुलिस ने एक्शन लेते हुए 5 जून को 12 संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार किया था। उनसे जब पूछताछ हुई तो पता चला कि वो आरोपी पहले भी दूसरे पेपर लीक करवा चुके हैं। अब छात्र तो सवाल पूछ रहे हैं कि अगर बिहार पुलिस को पहले से शक हो चुका था, उसके बाद भी बिना जांच किए परीक्षा के नतीजे कैसे घोषित कर दिए गए? छात्रों के यह सवाल सरकार से हैं जो इस समय NTA को क्लीन चिट देने का काम कर रही है। जांच की बात करती है, दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन भी देती है, लेकिन पेपर लीक के आरोपों का खंडन भी कर रही है। ऐसे में किस आधार पर और किन आरोपों को लेकर जांच होगी, यह भी एक बड़ा सवाल खड़ा हो चुका है।
विश्वास टूटा, कायम करना होगा और मुश्किल
छात्रों का मानना है कि नीट पेपर इस बार लीक हुआ है और उस धांधली को छिपाने की सारी कोशिशें की जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी क्योंकि अभी तक पेपर लीक को लेकर कोई आदेश नहीं दिया है, इस वजह से भी सरकार का इतनी जल्दी एक स्टैंड ले लेना छात्रों को हैरान कर गया है। अभी के लिए यह मामला शांत होता नहीं दिख रहा है क्योंकि सवाल इस बार सिर्फ रैकिंग या फिर एक परीक्षा का नहीं है, बल्कि सवाल विश्वास का है जो कुछ गंभीर आरोपों की वजह से टूट चुका है।