नीट पेपर लीक मामले की जांच कर रही है CBI ने कई खुलासे किए हैं। केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि आरोपित छात्रों ने 35 से 60 रुपये देकर क्वेश्चन पेपर खरीदे थे। अलग-अलग राज्यों में पेपर खरीदे-बेचे गए थे। बिहार में पेपर की खरीद 35 से 45 लाख रुपये में हुई थी। जबकि दूसरे राज्यों में भी 60 लाख रुपये तक पेपर खरीदे गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुए कहा कि पेपर लीक नहीं होगा क्योंकि इससे छात्रों के जीवन पर प्रभाव पड़ेगा।
नीट पेपर लीक : सीबीआई का खुलासा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक CBI ने खुलासा किया है कि 150 छात्रों ने पेपर की खरीद की थी। CBI के मुताबिक नीट-यूजी पेपर लीक के आरोपियों ने बहुत सावधानी बरती। शुरू में केवल 120 उम्मीदवारों को निशाना बनाया गया था। जिन्होंने पास हो जाने की स्थिति में उन्हें शुरुआती पैसे और 20 लाख रुपये के पोस्ट-डेटेड चेक देने की बात कही थी। सूत्रों ने कहा, “आरोपियों ने यह काम बहुत सावधानी से किया। वे जानते थे कि अगर पेपर किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लीक हुआ तो इससे यह वायरल हो जाएगा और उनकी योजना खराब हो जाएगी।”
सीबीआई सूत्रों ने कहा कि लीक से चार स्थानों को छोड़कर ज़्यादा नुकसान नहीं हुआ और बड़ी तादाद में छात्र इसका फायदा हासिल नहीं कर पाए। सूत्रों ने कहा, “नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की भूमिका एक समिति द्वारा तय की जाएगी। हमने राउंड-अप जांच का एक हिस्सा पूरा कर लिया है और हम बड़ी साजिश की जांच करने के लिए आगे बढ़ेंगे।”
CBI ने अब तक इस मामले में 6 FIR दर्ज की हैं। बिहार में दर्ज की गई FIR पेपर लीक से संबंधित है, जबकि गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र में दर्ज की गई FIR उम्मीदवारों के स्थान पर दूसरे के स्थान पर बैठने और धोखाधड़ी से संबंधित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि पेपर दोबारा ना करवाते हुए हमें CBI की जांच से उम्मीद रखनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है कि पेपर लीक बड़े पैमाने पर नहीं हुआ और इसे सोशल साइट्स पर लीक नहीं किया गया।