नीट परीक्षा पर इस समय पेपर लीक के जो आरोप लग रहे हैं, उसने पूरे देश में भूचाल लाकर रख दिय है। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल को शुरू हुए कुछ दिन ही हुए हैं और वो सबसे बड़े विवाद में फंस चुकी है। लाखों बच्चों के भविष्य का सवाल है, सरकार सिर्फ आश्वासन देने का काम कर रही है। लेकिन असल समाधान पर किसी की नजर नहीं जा रही, कोई भी छात्रों को यह नहीं बता पा रहा कि आखिर पेपर लीक को कैसे रोका जाएगा। अब वही काम हम यहां करने की कोशिश करते हैं।
चीन ने नहीं की भारत वाली गलती
अब समाधान जानने के लिए सिर्फ कुछ देशों के अनुभव से सीखना चाहिए। अपना पड़ोसी चीन इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। वहां पर प्रदूषण की समस्या पैदा हुई, रोडमैप तैयार कर स्थिति सुधारी गई, वहां पर जनसंख्या विस्फोट का खतरा बढ़ा तो एक्शन प्लान तैयार कर सबकुछ काबू में लाया गया। इसी तरह पेपर लीक की समस्या चीन में भी है, वहां भी कुछ पेपर लीक हुए हैं। वहां भी छात्रों के प्रदर्शन देखने को मिले हैं, लेकिन चीन ने भारत वाली गलती नहीं की।
उसने सिर्फ आश्वासन देने या कुछ आरोपियों को गिरफ्तार करने का काम नहीं किया है। उसने एक ऐसी नीति तैयार की है, ऐसी व्यवस्था खड़ी कर दी है कि पेपर लीक का सवाल नहीं उठता। असल में चीन में एक सबसे मुश्किल एग्जाम होता है, कहा तो यहां तक जाता है कि पूरी दुनिया का वो सबसे कठिन टेस्ट है। उस टेस्ट का नाम है- Gaokao
दुनिया का सबसे मुश्किल एग्जाम चीन करता आयोजित
यह एक ऐसा टेस्ट है जिसकी तैयारी 10 साल तक छात्र करते हैं, फिर भी 10 मिलियन छात्रों में से सिर्फ 3 मिलियन छात्रों का ही चयन हो पाता है। इसी वजह से इस एक टेस्ट की सुरक्षा को लेकर चीन की सरकार काफी गंभीर रहती है। उसकी तरफ से तमाम तैयारियां की जाती हैं। कहना चाहिए जैसा माहौल किसी युद्ध के समय देखने को मिल जाता है, चीन उसी तरह से इस परीक्षा को भी कंडक्ट करवाता है। किसी भी परीक्षा को लेकर सबसे बड़ा रिस्क होता है कि कागज किसी और के हाथ ना लग जाए। कहीं पर पेपर प्रिंट होता होगा, कोई उस पेपर को लेकर दूसरी जगह लेकर जाता होगा, फिर कहीं उसे सील किया जाता होगा, ऐसे में कई चरण हैं जिसके बाद एग्जाम पेपर किसी भी सेंटर तक पहुंचेगा।
परीक्षा के वक्त चीन का ‘सुरक्षा घेरा’
चीन भी इस बात को समझता है, इसी वजह से उसने यहां पर तकनीक का बखूबी इस्तेमाल किया है। जीपीएस के जरिए हर गतिविधि को ट्रैक किया जाता है, डिस्ट्रीब्यूशन से लेकर डिलीवरी तक की हर डिटेल अधिकारियों तक पहुंचती रहती है। इसके अलावा जब टेस्ट पेपर को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना होता है तो अलग से एक SWAT टीम उनके साथ चलती है। यह बड़ी बात है क्योंकि इससे पहले तक कभी भी चीन या किसी दूसरे देश में इस तरह से फोर्स का इस्तेमाल सिर्फ एग्जाम पेपर को लेकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में नहीं किया गया है। इसके अलावा हर एग्जाम सेंटर पर भी 8 पुलिस ऑफिसर्स की एक अलग टीम तैनात रहती है।
युद्ध वाला माहौल, ड्रोन करते निगरानी
भारत की तरह चीन में भी कुछ चालाक छात्र एग्जाम सेंटर से बैठकर ही अपने सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं। तकनीक के जरिए यह सब चोरी-छिपे किया जाता है। लेकिन यहां भी चीन ने इस समस्या का सॉलिड समाधान निकाल रखा है। एग्जाम सेंटर के 500 मीटर के पास में ही कई ड्रोन उड़ते रहते हैं, अब वो ड्रोन निगरानी तो करते ही हैं, साथ में रेडियो सिग्नल के ट्रांसमिशन्स को रोकने का काम भी करते हैं। इसी वजह से इस प्रकार की चीटिंग करना काफी मुश्किल हो जाता है।
बायोमेट्रिक फिंगरप्रिंट और मेटल डिटेक्टर!
एक और समस्या यह भी देखने को मिली है कि कोई दूसरा छात्र किसी और के नाम पर एग्जाम देने आ जाता है। अब यह प्रॉब्लम भी सिर्फ भारत या कुछ दूसरे देशों तक सीमित नहीं है, कई देशों में ऐसा देखने को मिला है। लेकिन यहां भी चीन ने फोकस समाधान पर किया है, इस वजह से हर एग्जाम सेंटर पर चेकिंग के कई सारे प्वाइंट्स बना दिए गए हैं। बायोमेट्रिकि जांच होगी, फिंगरप्रिंट चेक करेंगे, फिर मेटल डिटेक्टर से गुजरना होगा, उसके बाद कोई छात्र परीक्षा देने के लिए आगे बढ़ सकेगा। ऐसे में अगर किसी ने खेल करने की कोशिश की तो वो पहले ही पकड़ा जाएगा।
एक चूक कोई भी कर सकेगा शिकायत
बड़ी बात यह भी है कि कोई अहम परीक्षा कंडक्ट करवाते वक्त सारी जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं हो सकती। अगर कहीं कोई गड़बड़ हो भी रही है तो जनता को भी समय रहते रिपोर्ट करना चाहिए। अब इस बारे में भी चीन ने सोचा है और उसी वजह से उसकी तरफ से ऐसी परीक्षाओं के वक्त एक फोन नंबर जारी किया जाता है जहां पर आसानी से शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है। ऐसे में बिना समय गंवाए कार्रवाई हो जाएगी और जनता अपने अंदर भी एक जिम्मेदारी का अहसास महसूस करेगी।
सिर्फ शिक्षा मंत्रालय के सहारे नहीं परीक्षा
वैसे चीन ने एक और दिलचस्प बदलाव करने का काम किया है। भारत में तो सिर्फ शिक्षा मंत्रालय ही किसी भी परीक्षा की जिम्मेदारी लेता है, अगर अभी नीट विवाद चल रहा है तो सबकुछ शिक्षा मंत्रालय को ही देखना है। लेकिन चीन ने यहां भी बड़ी परीक्षाओं को लेकर एक बदलाव किया है। उसने किसी एक मंत्रालय तक इसकी जिम्मेदारी को नहीं छोड़ा है, बल्कि अलग-अलग पहलू संभालने के लिए अलग-अलग मंत्रालयों को जिम्मेदारी सौंपने का काम किया गया है। पब्लिक सिक्योरिटी, नेशनल सिक्योरिटी और स्टेट इंटरनेट इनफॉर्मेशन ऑफिस को किसी भी परीक्षा के समय सक्रिय रूप से शामिल किया जाता है।
भारत कब आश्वासन से बढ़ेगा आगे?
अब यह काम तो भारत में भी हो सकता है, अलग-अलग मंत्रालय अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए एक ऐसा सुरक्षा चक्रव्यूह का निर्माण कर सकते हैं जहां पर पेपर लीक की कोई गुंजाइश ही ना बचे। वैसे चीन ने तो सात साल की सजा का प्रावधान भी पहले से रखा हुआ है, अगर इतने ताम-झाम के बाद भी परीक्षा का पेपर लीक हुआ तो टीचर या छात्र को 7 साल के लिए जेल भेज दिया जाएगा, जुर्माना लगेगा तो अलग। ऐसे में समय के साथ चीन ने पेपर लीक की समस्या से निटपने के लिए अपने सिस्टम को सुधारने का काम किया है, उसने प्रॉब्लम से ज्यादा समाधान पर फोकस किया। अब भारत भी ऐसे ही कुछ बदलाव कर देश के भविष्य को सही मायनों में सुरक्षित कर सकता है।