NEET Paper Leak Case: मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए होने वाली परीक्षा NEET-UG में पेपर लीक होने के विवाद में नई-नई बातें सामने आ रही हैं। इस मामले की जांच पहले बिहार की आर्थिक अपराध शाखा (EOU) कर रही थी। बाद में जब ईओयू ने मामला सीबीआई को सौंपा तो एक व्यक्ति का नाम लिया। वह नाम संजीव कुमार ‘मुखिया’ था। इसके बारे में जांचकर्ताओं का मानना है कि वह पूरे ऑपरेशन का मुख्य सूत्रधार था। इसे अब ‘सॉल्वर गैंग’ कहा जा रहा है। साल्वर गैंग एक अंतरराज्यीय नेटवर्क है जो कथित तौर पर प्रतियोगी परीक्षाओं के हल किए गए प्रश्नपत्रों को इच्छुक लोगों को पैसे लेकर बेचता है। 51 वर्षीय मुखिया के बारे में माना जाता है कि वह पांच बड़े पेपर लीक मामलों में शामिल रहा है। इसमें बिहार शिक्षक भर्ती परीक्षा भी शामिल है। इसके लिए उसके बेटे डॉ. शिव उर्फ बिटू को इस साल की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था।

पहले वह रंजीत डॉन के सहयोगी के रूप में काम करता था

नालंदा का रहने वाला मुखिया फिलहाल फरार है, हालांकि उसने स्थानीय अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है। इस मामले की सुनवाई अभी होनी है। मुखिया को यह नाम इसलिए दिया गया, क्योंकि उनकी पत्नी 2016 से 2021 के बीच नालंदा की भुतहाखार पंचायत की पूर्व ग्राम प्रधान थीं। वह कथित तौर पर दो दशकों से पेपर लीक रैकेट में शामिल हैं। सबसे पहले वह रंजीत डॉन के सहयोगी के रूप में शामिल था। डॉन के बारे में माना जाता है कि वह 90 के दशक और 2000 के दशक की शुरुआत में कई परीक्षा रैकेट में शामिल था। इसके बाद वह खुद भी इसमें शामिल हो गया।

मुखिया 10 साल से नालंदा के नूरसराय के स्कूल में तकनीकी सहायक है

पुलिस सूत्रों के अनुसार, मुखिया 10 साल से अधिक समय से नालंदा के नूरसराय में उद्यान विद्यालय में तकनीकी सहायक है। बिहार के अंदर और बाहर कम से कम चार पेपर लीक रैकेट में उसका नाम शामिल है। उसे दो बार गिरफ्तार भी किया गया था। एक बार एक दशक पहले बिहार में एक ब्लॉक स्तरीय परीक्षा के लिए और दूसरी बार 2016 में उत्तराखंड की कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में संदिग्ध पेपर लीक के लिए वह पकड़ा गया था।

मुखिया का बेटा शिव एक डॉक्टर है। उसको इस साल बिहार की शिक्षक भर्ती परीक्षा-III में कथित अनियमितताओं के लिए गिरफ्तार किया गया था। हालांकि मुखिया पर भी मामले में शामिल होने का आरोप लगाया गया था, लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं किया गया।

जांचकर्ताओं के अनुसार मुखिया के करीबी सहयोगी बलदेव कुमार को 5 मई की सुबह हल किए गए प्रश्नपत्र की पीडीएफ मिली थी। यह हल की गई उत्तर कुंजी (solved answer key) थी जिसे कथित तौर पर उम्मीदवारों को याद करने के लिए कराया गया था। बलदेव झारखंड के देवघर से इस मामले में गिरफ्तार किए गए पांच कथित ‘सॉल्वर गैंग’ सदस्यों में से एक है।

अपने खिलाफ कई मामलों के बावजूद मुखिया ने परोक्ष रूप से राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं भी पाल रखी थीं। 2020 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले मुखिया की पत्नी ममता देवी, जो उस समय बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) की सदस्य थीं, ने पार्टी छोड़ दी और नालंदा के हरनौत से लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन जेडीयू के हरि नारायण सिंह से हार गईं। सोमवार को विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने जेडीयू और एनडीए के अन्य घटक दलों के नेताओं के साथ ममता देवी की तस्वीरें जारी कीं। हालांकि न तो जेडीयू और न ही चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने इस पर कोई टिप्पणी की है।

अपनी ओर से जेडीयू के एक नेता ने नाम न बताने की शर्त पर स्वीकार किया कि यह लिंक “शर्मनाक” है। हालांकि इस नेता ने यह भी कहा कि “राजनीति और सार्वजनिक जीवन में कई राजनीतिक बाधाएं हैं।” की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के एक नेता ने भी ऐसा ही बयान दिया।

हालांकि आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज के. झा ने तर्क दिया कि पार्टी ने “मामले की गंभीरता को सामने लाने के लिए” तस्वीरें जारी की हैं। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “यह घोटाला, जिसमें इतने सारे राज्य शामिल हैं, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) पर सवाल उठाता है, इसकी गहन जांच की जानी चाहिए।”