परिवार में वित्तीय नियोजन की दृष्टि से बजट बनाना बहुत जरूरी है। बजट संभावित आय और व्यय का लेखाजोखा है। यह परिवार की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करता, किसी व्यक्ति या परिवार को अपने खर्च को नियंत्रित करने और उपलब्ध आय की फिजूलखर्ची को रोक कर उसका सदुपयोग करने में सहायक होता है। परिवार के वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने और खर्च पर नियंत्रण रखने की दृष्टि से भी बजट महत्त्वपूर्ण होता है।

जिस तरह देश की अर्थव्यवस्था में वित्तीय नियोजन महत्त्वपूर्ण है, ठीक उसी प्रकार परिवार की अर्थव्यवस्था में भी इसका महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। वित्तीय नियोजन, वित्तीय प्रबंध का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। परिवार के संदर्भ में वित्तीय नियोजन के तहत परिवार में होने वाली आय, जिसमें सदस्यों का वेतन, मजदूरी, किराया, ब्याज, लाभांश, बोनस, सेवानिवृत्ति लाभ तथा अन्य प्रकार की सभी आर्थिक प्राप्तियां शामिल होती हैं, वे और परिवार में होने वाले व्यय, बचत, बीमा और निवेश भी शामिल होते हैं। वैसे तो वित्तीय नियोजन सभी आयवर्ग के लिए जरूरी है, लेकिन मध्यवर्ग के लिए यह सर्वाधिक उपयोगी होता है, क्योंकि इस वर्ग की आय सीमित और लगभग स्थिर होती है, उसको इसी आय में अपना जीवन यापन करना होता है।

एक सुदृढ़ वित्तीय नियोजन परिवार के भविष्य के लिए सुरक्षा चक्र उपलब्ध कराता है। परिवार में आकस्मिक आयोजन, बीमारी, दुर्घटना अदि हो सकती है। इनमें एकाएक बड़ी राशि खर्च करनी पड़ जाती है। बच्चों की पढ़ाई और शादी-विवाह आदि के लिए भी पर्याप्त धन की आवश्यकता होती है, अगर इसके लिए धन उपलब्ध नहीं है, तो दूसरों के सामने हाथ पसारना और मोटी ब्याज दर पर कर्ज लेना पड़ सकता है।

उसे चुकाने के लिए अपनी सामान्य आवश्यकताओं में कटौती करनी पड़ जाती है। वित्तीय नियोजन परिवार के दीर्घकालिक और अल्पकालिक वित्तीय लक्ष्यों को निर्धारित करने और उन्हें पूरा करने के लिए आवश्यक योजना बनाने में सहायता करता है। यह परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक योजना बनाने और उसको पटरी पर बनाए रखने में सहायक होता है। परिवार के मुखिया की सेवानिवृत्ति की दशा में नियमित आय बनाए रखने की दृष्टि से भी यह महत्त्वपूर्ण होता है।

वित्तीय नियोजन की दृष्टि से जरूरी है कि व्यक्ति अपने वित्तीय लक्ष्य निर्धारत करे। मसलन, व्यक्ति अगले दस साल में अपना घर बनाना चाहता है, बच्चों की शिक्षा और शादी-विवाह में होने वाले खर्च की व्यवस्था करनी है या सेवानिवृत्ति तक एक बड़ी राशि जमा करना चाहता है, ताकि इसके बाद उसको नियमित आय होती रहे।

इसके लिए उसे कोई पेंशन बीमा पालिसी लेनी होगी या किसी अन्य बचत मध्यम का चुनाव करना होगा, जिससे उसको वह कोष बनाने में सहयता मिल सके। इस योजना में उसको नियमित निवेश करना होगा। घर बनाने के लिए किसी अच्छे म्युच्यूअल फंड, बैंक या पोस्ट आफिस की आवर्ती जमा योजना में प्रति माह एक निर्धारित राशि जमा करानी होगी, ताकि दस वर्ष बाद घर बनाने के लिए आवश्यक धन उपलब्ध हो सके।

वित्तीय नियोजन की दृष्टि से आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें 50-30-20 का नियम अपनाना चाहिए। इस नियम के अनुसार व्यक्ति को अपनी पचास फीसद आय परिवार के मासिक खर्च के लिए, तीस फीसद अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों के लिए और बीस फीसद राशि बचत के रूप में रखनी चाहिए। दीर्घकालिक लक्ष्यों के लिए निर्धारित राशि का एक भाग आपातकालीन कोष में भी जमा करते रहना चाहिए।

परिवार के मुखिया की नौकरी छूटना, किसी सदस्य की चिकित्सा की आपात स्थिति या अचानक घर में टूट-फूट के कारण घर की मरम्मत जैसे अप्रत्याशित खर्चों के लिए भी आपातकालीन कोष का उपयोग किया जा सकता है। वित्त विशेषज्ञों के अनुसार आपातकालीन कोष में परिवार के छह महीनों के खर्च के बराबर धनराशि रहनी चाहिए।

परिवार के मुखिया के असामयिक निधन की दशा में परिवार के वित्तीय भविष्य की सुरक्षा की दृष्टि से परिवार का उपयुक्त बीमा कवरेज होना आवश्यक है। परिवार के मुखिया को व्यक्तिगत जीवन बीमा पालिसी लेने के अलावा जीवन साथी की और एक संयुक्त जीवन बीमा पालिसी भी लेना चाहिए, जिसके माध्यम से दोनों को बीमा सुरक्षा मिल सके।

एक कुशल बीमा एजेंट या वित्तीय सलाहकार से इस मामले में उपयुक्त सलाह ली जा सकती है। अपने पर आश्रित माता-पिता के पास जीवन बीमा है या नहीं, यह पता लगा कर इस पर विचार करके निर्णय लेना चाहिए कि अगर उनकी पालिसी है, तो उनके जीवन निर्वाह या उनके न रहने पर खर्चों की पूर्ति में वह किस हद तक सहायक हो सकती है, यह देखना चाहिए।

बीमा परिवार के माध्यम से मुखिया की असामयिक मृत्यु की स्थिति में आश्रितों के लिए आर्थिक सुरक्षा बनी रह सकती है। परिवार के किसी सदस्य की गंभीर बीमारी या चोट से दीर्घकालिक विकलांगता की दशा में परिवार की जरूरतों को पूरा करने हेतु आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराने में भी बीमा की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। परिवार के सदस्यों की बीमारी की दशा में होने वाले व्ययों की पूर्ति हेतु उपयुक्त स्वाथ्य बीमा पालिसी जरूर लेनी चाहिए।

परिवार में वित्तीय नियोजन की दृष्टि से बजट बनाना बहुत जरूरी है। बजट संभावित आय और व्यय का लेखाजोखा है। यह परिवार की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करता, किसी व्यक्ति या परिवार को अपने खर्च को नियंत्रित करने और उपलब्ध आय की फिजूलखर्ची को रोक कर उसका सदुपयोग करने में सहायक होता है। परिवार के वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने और खर्च पर नियंत्रण रखने की दृष्टि से भी बजट महत्त्वपूर्ण होता है।

इससे बचत करना भी आसान हो जाता है। जो लोग अपना पारिवारिक बजट बनाते और उसका कठोरता से पालन करते हैं, उन्हें बड़े ऋण लेने की आवश्यकता कम ही होती है। उनको सेवानिवृत्ति के बाद आरामदायक जीवन जीने में कठिनाई नहीं होती और आपात स्थिति में होने वाले खर्च को तैयार रहते हैं। बजट में अन्य खर्चों के साथ एक निश्चित राशि शामिल होनी चाहिए, जिसे हर महीने बचत के रूप में सुरक्षित रखा जाएगा।

परिवार के वित्तीय नियोजन में ऋण एक महत्त्वपूर्ण घटक होता है। जहां तक हो सके ऋण लेने से बचना चाहिए। फिर भी कार ऋण, आवास ऋण या बंधक ऋण जैसा कोई ऋण बकाया है, तो इसे पारिवारिक वित्तीय नियोजन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा मानते हुए उसको नियमित रूप से चुकाने की समुचित व्यवस्था की जानी चाहिए। ऋण की प्रकृति और ब्याज दर के आधार पर ऋण के भुगतान की प्राथमिकता तय की जानी चाहिए।

यदि ऋण की ब्याज दर अधिक है, तो उसका शीघ्र भुगतान करने का प्रयास करना चाहिए। अगर बड़ी राशि का ऋण पहले अधिक ब्याज दर पर लिया हुआ है और अब कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध है तो उस ऋण को कम दर वाला ऋण लेकर चुका देना चाहिए। ऋण की किश्त का भुगतान समय पर हो सके, इसकी समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। इसके लिए अधिकांश ऋणदाताओं ने ‘आटो डेबिट’ की व्यवस्था कर रखी है, उसका उपयोग करना चाहिए।

अपनी वित्तीय योजना की समय-समय पर समीक्षा करना भी आवश्यक है। जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, उसके वित्तीय लक्ष्य बदलते रहते हैं, इसलिए वित्तीय लक्ष्य की समीक्षा करनी और सबसे जरूरी खर्चों को प्राथमिकता देनी चाहिए। विवाह, बच्चे का जन्म, बच्चों की उच्च शिक्षा आदि जैसे अवसरों के लिए वित्तीय योजना की समीक्षा की जाती रहनी चाहिए।

पदोन्नति, नौकरी छूटना, जल्दी सेवानिवृत्ति आदि किसी व्यक्ति की आय को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं। जैसे-जैसे कोई व्यक्ति करिअर में आगे बढ़ता है, उसे अधिक बचत करने और बचाए गए पैसे को सुरक्षित निवेश करने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा प्रतिकूल परिस्थितियों, जैसे नौकरी छूटना, वेतन में कटौती आदि जैसे जोखिमों के कारण भी वित्तीय लक्ष्यों को समायोजित करने की दृष्टि से वित्तीय योजना की समीक्षा आवश्यक है। अगर एक परिवार, विशेष रूप से मध्यवर्गीय परिवार, अपना उपयुक्त वित्तीय नियोजन करता रहे, तो वह बिना तनाव के सुखमय जीवन व्यतीत कर सकता है।