राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह बिना देर किए जनसंख्या नियंत्रण नीति बनाए जिससे जनसांख्यिकीय अंसतुलन (Demographic Imbalance) को ठीक किया जा सके। होसबाले शनिवार को मध्य प्रदेश के जबलपुर में आयोजित अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक के आखिरी दिन पत्रकारों से बात कर रहे थे।

होसबाले ने कहा, “सरकार ने खुले मंच पर और संसद में भी इसका उल्लेख किया है। जनसंख्या नीति जितनी जल्दी होगी, उतना उसका फायदा है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर दिए गए अपने भाषण में देश में जनसांख्यिकीय बदलाव का जिक्र किया था। मोदी ने कहा था कि इस मामले में एक उच्चस्तरीय मिशन बनाया जाएगा।

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इसी तरह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी 2024 के अंतरिम बजट भाषण में कहा था कि तेजी से बढ़ती जनसंख्या और जनसांख्यिकीय परिवर्तन की चुनौतियों पर विचार करने के लिए एक हाई प्रोफाइल कमेटी बनाई जाएगी।

आरएसएस लंबे समय से जनसांख्यिकीय बदलाव (Demographic Change) को लेकर अपनी बात रख रहा है। संघ ने खासकर बांग्लादेश से होने वाली अवैध घुसपैठ को प्रमुखता से उठाया है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में कहा था कि आबादी का संतुलन बनाए रखने के लिए लोगों के तीन बच्चे होने चाहिए।

घुसपैठ और धर्मांतरण रोकना जरूरी- होसबाले

होसबाले ने कहा, “घुसपैठ और धर्मांतरण रोकना जरूरी है। जब आबादी के असंतुलन की बात होती है तो कुछ लोग कहते हैं कि यह सांप्रदायिक सोच है। लेकिन यह सोचना होगा कि इसका राष्ट्रीय सुरक्षा पर क्या असर होगा।”

होसबाले ने कहा कि आबादी असंतुलन के तीन प्रमुख कारण हैं- घुसपैठ, धर्मांतरण और कुछ समुदायों में जनसंख्या की अधिक वृद्धि दर। उन्होंने कहा, “धर्मांतरण रोकने के लिए कानून तो बनाए गए हैं लेकिन इस मामले में सामाजिक स्तर पर भी कोशिश की जानी चाहिए।”

होसबाले ने छत्तीसगढ़ और झारखंड में माओवादियों द्वारा मुख्यधारा में शामिल होने के लिए आत्मसमर्पण करने का स्वागत किया। होसबाले ने कहा कि संघ जाति-आधारित जनगणना के खिलाफ नहीं है लेकिन यह राजनीतिक रूप से प्रेरित नहीं होना चाहिए और इसका मकसद सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों की पहचान करके उनकी प्रगति करना होना चाहिए।

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