सरकार ने मंगलवार को कहा कि जीएसटी सहित कई लंबित विधेयकों को पास कराने के लिए वह संसद का मॉनसून सत्र फिर से बुला सकती है। उसने कहा कि वह संशोधनों पर खुले मन से विचार करने के लिए तैयार है और इस सिलसिले में विपक्षी दलों के नेताओं से विचार विमर्श भी शुरू कर दिया है।
विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के हंगामे के कारण संसद के मॉनसून सत्र का कामकाज लगभग ठप पड़ा रहा। संसद के दोनों सदनों को निर्धारित समय में अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया, लेकिन उसका सत्रावसान नहीं किया गया। जिससे जरूरी विधेयकों को पास कराने के लिए सरकार के पास सत्र को फिर से बुलाने का विकल्प खुला रहे।
इस संबंध में संसदीय कार्यमंत्री एम वेंकैया नायडू ने लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की और सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे देश के व्यापक हित में संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करें। नायडू ने कहा कि वे इस मुद्दे पर कई दलों के नेताओं से पहले ही विचार विमर्श कर चुके हैं। संसद को सुचारू रूप से चलाना सुनिश्चित करने के प्रयास में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने की इच्छा भी प्रकट की।
उन्होंने कहा कि विचार-विमर्श के बाद महत्त्वपूर्ण विधेयकों को पास कराने के लिए अगर मॉनसून सत्र का दूसरा भाग बुलाने की जरूरत हुई तो सरकार ऐसा करेगी। मैं सभी राजनीतिक दलों से अपील करता हूं कि वे राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखें। संसद को चलना चाहिए। लोकतंत्र में स्वस्थ चर्चा का कोई विकल्प नहीं है। सूत्रों के मुताबिक मॉनसून सत्र को फिर से बुलाने की तिथियां अभी तय नहीं की गई हैं, लेकिन इसे सितंबर में किसी समय बुलाया जा सकता है।
नायडू ने यहां मीडिया से कहा कि जीएसटी विधेयक, रियल स्टेट नियमन विधेयक और भूमि विधेयक जैसे बहुत ही महत्वपूर्ण बिल लंबित पड़े हैं। जीएसटी विधेयक पास होने में विलंब से भारत के लोगों की आकांक्षाएं, खासकर युवाओं के सपने बाधित होंगे जो नौकरियां पाने के लिए लालायित हैं। इन विधेयकों को पास कराने के लिए विपक्षी दलों से सहयोग मांगते हुए संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार हैं और राष्ट्रीय हितों को राजनीतिक हितों से ऊपर रखने के लिए सभी से सहयोग के लिए प्रतिबद्ध हैं।
सूचकांक और रुपए के मूल्य में पिछले दिनों तेज गिरावट की घटना के बीच नायडू ने सभी दलों से कहा कि वे राष्ट्रीय हित को ध्यान में रख कर सोचें। उन्होंने कहा कि विश्व भर की ताजा वित्तीय स्थिति की पृष्ठभूमि में यह और भी जरूरी है। कांग्र्रेस व कुछ अन्य दलों द्वारा जीएसटी में संशोधन किए जाने की मांग के बारे में पूछे जाने पर कहा कि ऐसा करने के लिए भी संसद को चलाना आवश्यक है।
इन महत्त्वपूर्ण विधेयकों में संशोधनों की विपक्ष की मांग पर नायडू ने कहा कि संशोधन बाहर (संसद के) तो किए नहीं जा सकते हैं। बाहर करेंगे तो उनका कोई महत्त्व नहीं होगा। उन्हें भीतर मंजूरी देनी होगी। सरकार संसद में खुले मन से जाएगी। एक बार सत्र को आहूत किए जाने पर, हम मुद्दों का समाधान करने में सक्षम होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इसका श्रेय वित्त मंत्री और सरकार को जाता है कि विभिन्न राज्यों, विनिर्माण राज्यों, गैर विनिर्माण राज्यों की ओर से प्रकट की गई कई चिंताओं पर ध्यान दिया गया और हर राज्य से बात की गई।
नायडू ने एक अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजंसी मूडी का हवाला देते हुए कहा कि जीएसटी जैसे महत्त्वपूर्ण सुधार विधेयकों में धीमी गति के कारण भारत के विकास की कहानी खतरे में चल रही है। उन्होंने दावा किया कि अगर यह विधेयक पास हो जाता है तो देश की जीडीपी वृद्धि डेढ़ से दो फीसद बढ़ सकती है।