नेशलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के चीफ शरद पवार ने कहा है कि कांग्रेस जो कहती है उसे कभी पूरा नहीं करती। एनसीपी चीफ ने कहा कि मैंने अपनी आधी जिंदगी कांग्रेस में बिताई है। मुंबई में पूर्व शिवेसेना नेता नारायण राणे की आत्मकथा के लॉन्च के दौरान शरद पवार ने कहा कि 2005 में राणे को शिवसेना से अलग नहीं होकर कांग्रेस में शामिल नहीं होना चाहिए था। उन्होंने कांग्रे का दामन इसलिए थामा था कि क्योंकि उन्हें लगा कांग्रेस उन्हें मुख्यमंत्री देगी।
पवार ने आगे कहा ‘मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि उन्हें (राणे) को 2005 में शिवसेना से अलग नहीं होना चाहिए था। वह शिवसेना के कद्दावर और पार्टी चीफ बाल ठाकरे के भरोसेमंद नेताओं में से एक थे। शिवसेना छोड़ने के बाद उनके पास दो विकल्प थे कि या तो वह कांग्रेस को चुने या फिर एनसीपी को। अंतिम निर्णय लेने से पहले उन्होंने मुझसे मुलाकात की थी। मुझे नहीं पता कि कांग्रेस में शामिल होना एक गलती थी।’
उन्होंने कहा ‘उन्हें लगा था कि कांग्रेस उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर अपना वादा पूरा करेगी लेकिन कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जहां फैसले कभी जल्दी नहीं लिए जाते। राणे कांग्रेस में नए थे। लेकिन मेरे जैसे नेताओं को पता है कि ये आश्वासन सिर्फ फायदे और उनकी पूर्ति की सुनिश्चितता के बिना किए गए हैं। कांग्रेस जो कहती है, पूरा नहीं करती।’
[bc_video video_id=”5996776029001″ account_id=”5798671092001″ player_id=”JZkm7IO4g3″ embed=”in-page” padding_top=”56%” autoplay=”” min_width=”0px” max_width=”640px” width=”100%” height=”100%”]
वहीं कार्यक्रम में मौजूद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा ‘मेरे और राणे जी का साथ रिश्ता राजनीति से ऊपर था। मेरे निजी राजनीतिक जीवन में दो नेताओं (राणे और दिवंगत गोपीनाथ मुंडे) के लिए बेहद सम्मान है। मैंने (2005) में व्यक्तिगत रूप से राणे से उनके निवास पर मुलाकात की थी। कुछ दिन पहले उन्होंने शिवसेना छोड़ने का फैसला किया था। उन्होंने कहा कि वह पार्टी के भीतर विपरीत समीकरणों के कारण निर्णय लेने के लिए मजबूर थे।’
उन्होंने कहा ‘मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि शिवसेना छोड़ना उनकी गलती थी। अगर राणे ने शिवसेना नहीं छोड़ी होती, तो राज्य में राजनीतिक परिदृश्य बिल्कुल अलग होते। वह राज्य में आज एक प्रमुख भूमिका निभा रहे होते।’