देश से नक्सलवाद का खात्मा लगातार हो रहा है। मोदी सरकार ने लक्ष्य रखा है कि मार्च 2026 तक देश को नक्सल मुक्त बना दिया जाएगा। इस बीच भारत में नक्सल हिंसा से प्रभावित जिलों की ताजा समीक्षा में पाया गया कि अप्रैल में 9 राज्यों के 46 जिले नक्सल प्रभावित थे। लेकिन अब इनकी संख्या घटकर 38 रह गई है। वहीं चिंताजनक जिलों की श्रेणी में केवल चार और सबसे अधिक प्रभावित जिलों की श्रेणी में महज तीन जिले रह गए हैं।

खत्म हो रहा नक्सलवाद

यह समीक्षा ‘वामपंथी उग्रवाद (LWE) से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना 2015’ के एक हिस्से के रूप में की गई, जिसके तहत केंद्र और राज्य सरकारें इस खतरे का मुकाबला करने के लिए मिलकर काम करती हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 15 अक्टूबर को ताजा वर्गीकरण अधिसूचित किया था। सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया है, लिहाजा सुरक्षा संबंधी व्यय (SRE) के अंतर्गत आने वाले जिलों की संख्या एक अप्रैल को 46 से घटकर अब 38 रह गई है।

एसआरई एक टॉप लेवल LWE नीति योजना है, जिसके तहत केंद्र वामपंथी उग्रवाद से लड़ने के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। एसआरई जिलों को आगे ‘वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों’ और ‘विरासत एवं प्रबल जिलों’ में वर्गीकृत किया जाता है। सूत्रों के अनुसार मार्च 2026 तक नक्सलवाद का खात्मा करने की केंद्र सरकार की घोषणा के तहत सुरक्षा बलों की आक्रामक कार्रवाई के बाद इन सभी श्रेणियों में नक्सली हिंसा और प्रभाव के स्तर में गिरावट देखी गई है।

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सूत्रों ने बताया कि देश में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों’ की संख्या अप्रैल में 18 से घटकर अब 11 रह गई है और उन्हें सबसे अधिक प्रभावित जिलों, चिंताजनक जिलों और अन्य वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों के रूप में उप-वर्गीकृत किया जाता है। सबसे अधिक प्रभावित जिलों में केवल तीन जिले बचे हैं, जिनकी संख्या एक अप्रैल को छह थी। इन तीन जिलों में छत्तीसगढ़ का बीजापुर, नारायणपुर और सुकमा शामिल हैं।

वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों के अंतर्गत यह उप-श्रेणी (सबसे अधिक प्रभावित जिलों) 2015 में 35 जिलों के साथ बनाई गई थी, ताकि वहां संसाधनों की केंद्रित तैनाती सुनिश्चित की जा सके। चिंताजनक जिलों की श्रेणी में बचे चार जिलों में छत्तीसगढ़ का कांकेर, झारखंड का पश्चिमी सिंहभूम, मध्यप्रदेश का बालाघाट और महाराष्ट्र का गढ़चिरौली शामिल है। इस श्रेणी में उन जिलों को रखा जाता है, जहां नक्सली प्रभाव कम हो रहा है, लेकिन संसाधनों के केंद्रित विकास की अब भी आवश्यकता है।

सूत्रों ने बताया कि अप्रैल में छह में से चार जिलों को इस श्रेणी से हटा दिया गया था, लेकिन समीक्षा के बाद दो को इसमें शामिल कर लिया गया।अन्य वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों’ में छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा, गरियाबंद और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी और ओडिशा का कंधमाल शामिल है।