शराब घोटाले में सीएम अरविंद केजरीवाल को अब कोर्ट के सामने पेश होना ही पड़ेगा। 17 फरवरी को उन्हें पेश होने के लिए कहा गया है। असल में ईडी द्वारा ही कोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा गया था कि सीएम केजरीवाल द्वारा जांच में सहयोग नहीं किया जा रहा है, लगातार जा रहे समन के बाद भी वे पूछताछ के लिए शामिल नहीं हो रहे। अब उसी कड़ी में अब कोर्ट ने ही 17 फरवरी को केजरीवाल को पेश होने के लिए कह दिया है।
जांच में शामिल क्यों नहीं होते केजरीवाल?
अभी के लिए बताया जा रहा है कि सीएम अरविंद केजरीवाल कानूनी जानकरों के साथ मंथन कर रहे हैं, उसके बाद ही आगे की रणनीति पर फैसला लिया जाएगा। लेकिन वे पहले ही ये साफ कर चुके हैं कि किसी भी कीमत पर झुकने नहीं वाले हैं। इससे पहले भी जब-जब उन्होंने ईडी समन को ठुकराया, उनका सिर्फ ये तर्क रहा कि ये बीजेपी का समन है, ये पूरी तरह गैरकानूनी है।
वैसे इस बार अरविंद केजरीवाल की चुनौती ज्यादा बड़ी इसलिए है क्योंकि आदेश कोर्ट की तरफ से आया है। अभी तक ईडी का समन नजरअंदाज किया जा रहा था, लेकिन कोर्ट की तरफ से आदेश आना उन्हें फंसा सकता है। इसके ऊपर ईडी की जो शराब घोटाले की चार्जशीट है, उसमें सीएम केजरीवाल का नाम है।
ईडी के पास क्या सबूत?
यहां ये समझना जरूरी है कि ईडी की जो चार्जशीट सामने आई है,उसमें एक बार नहीं कई बार अरविंद केजरीवाल केक नाम का भी जिक्र किया गया है। अब नाम इसलिए है क्योंकि जांच एजेंसी को पता चला है कि जिस समय दिल्ली की नई शराब नीति बनाई जा रही थी, तब केजरीवाल का हर उस शख्स से संपर्क था जो इस समय इस घोटाले में फंसा हुआ है। जांच एजेंसी के मुताबिक भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के. कविता के अकाउंटेंट बुचीबाबू से जब पूछताछ हुई थी, तब उनकी तरफ से भी सीएम का नाम लिया गया था। उन्होंने दो टूक कहा था कि के कविता, मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल के बीच एक राजनीतिक समझ चल रही थी।