National Service Scheme: राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) को राष्ट्रीय सेवा और कौशल विकास योजना में तेजी से बदलने की सिफारिश संसद की एक समिति ने की है। एनएसएस युवा मामले और खेल मंत्रालय की एक केंद्रीय योजना है। इसका मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को सामुदायिक सेवा के माध्यम से उनके व्यक्तित्व को विकसित करने का अवसर प्रदान करना है।
संसद की शिक्षा, महिला, बाल, युवा एवं खेल मामलों की स्थायी समिति ने दो अप्रैल को राज्यसभा में अपनी 366वीं रिपोर्ट पेश की थी। कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली इस समिति ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए युवा मामले और खेल मंत्रालय की अनुदान मांगों पर रिपोर्ट दी थी।
खाली पदों को भरने की मांग
समिति ने कहा है कि वर्तमान में एनएसएस में 50 फीसद रिक्तियां हैं। विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में विशेष अभियान चलाकर तत्काल प्रभाव से इन रिक्तियों को भरा जाना चाहिए। समिति ने कहा कि विभाग रिक्त पद को भरने के लिए एक कार्य योजना बनाए और उसे समिति के साथ साझा करे।
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संसदीय समिति ने एनएसएस को राष्ट्रीय सेवा और कौशल विकास योजना में बदलने के प्रस्ताव पर ध्यान दिया और सिफारिश की कि इस बदलाव को तेजी से किया जाना चाहिए। समिति ने सिफारिश की कि एनएसएस सांप्रदायिक सद्भाव और नशीली दवाओं से परहेज व नशामुक्ति को अपनी गतिविधियों में प्रमुख रूप से जगह दे। साथ ही यह भी सिफारिश की है कि नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस) की तरह सभी युवा कार्यक्रमों को संविधान की प्रस्तावना की शपथ लेने और राष्ट्रीय शपथ के पाठ के साथ शुरू किया जाना चाहिए।
समिति ने पाया कि विभिन्न राज्यों ने एनएसएस स्वयंसेवकों के योगदान को पुरस्कृत करने और मान्यता देने की पहल की है लेकिन उनके द्वारा अपनाई गई नीति में व्यापक भिन्नता है। समिति ने सिफारिश की है कि विभाग इसके लिए एक सामान्य रूपरेखा विकसित करके इस अंतर को पाटने का प्रयास करे।
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समिति ने विशेष रूप से सिफारिश की है कि युवा मामले विभाग को उच्च शिक्षा विभाग के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एनएसएस स्वयंसेवकों द्वारा किए गए सेवा घंटों को उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा स्वीकार किए जाने वाले ‘अकादमिक बैंक आफ क्रेडिट’ में जमा किया जाए।
समिति ने यह सिफारिश भी की है कि स्वयंसेवी योजनाओं के प्रभाव का नियमित मूल्यांकन किया जाना चाहिए ताकि इस योजना के अंतर्गत स्वयंसेवकों द्वारा किए गए ठोस योगदान पर निगाह रखी जा सके और यह समझा जा सके कि भविष्य के वर्षों में इन कार्यक्रमों को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है।
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