National Register of Citizens : मोदी सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर बनाने का फैसला कर लिया है। इस रजिस्टर को लेकर केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बीते मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ किया कि NPR का NRC से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने बताया कि NPR के दौरान किसी प्रूफ, कागजात या बायोमेट्रिक की जरुरत नहीं होगी।

सरकार की तरफ से बताया गया है कि NPR अपडेट करने का काम अप्रैल से सितंबर 2020 तक चलेगा। एनपीआऱ को लेकर केंद्र सरकार ने बताया कि सरकार इसके तहत यहां निवासियों से 21 जरुरी सवाल पूछे जाएंगे। इसमें माता-पिता का जन्मस्थान, अंतिम निवास स्थान, पैन नंबर, आधार, वोटर आईडी कार्ड नंबर, ड्राइविंग लाइसेंस नंबर और मोबाइल नंबर शामिल हैं। आपको बता दें कि साल 2010 में जब एनपीआर हुआ था तब सरकार ने लोगों से 15 सवाल पूछे थे। इसमें माता-पिता का जन्मस्थान और अंतिम निवास स्थान शामिल नहीं था।

केंद्र सरकार ने साफ किया है कि एनपीआर के दौरान किसी सबूत या कागजात की जरुरत नहीं है बल्कि लोगों द्वारा बताई गई जानकारी को ही सही माना जाएगा। केंद्र सरकार ने बताया है कि सभी राज्यों ने एनपीआर को कबूल किया है और राज्य के अधिकारियों को जरुरी दिशा निर्देश और ट्रेनिंग देने की व्यवस्था की भी बात कही है। सरकार ने बताया है कि इसके जरिए जो लोग भी भारत में रहते हैं उनकी गिनती की जाएगी।

नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) हर 10 वर्ष में होने वाली जनगणना का ही नया रूप है। NPR तैयार करने का मकसद देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना है। इस डेटा में जनसांख्यिकी के साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी शामिल होगी. हालांकि यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा। नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर में हर नागरिक की जानकारी रखी जाएगी। असम के नागरिकों को छोड़कर NPR सभी भारतीय नागरिकों पर लागू होगा।

सरकार की ओर से बताया गया कि इस बार की जनगणना तकनीक पर आधारित होगी। इसके लिए बकायदा एक खास ऐप बनाया गया है और उसी APP के जरिए NPR अपडेट किया जाएगा। सरकार का मानना है कि ऐप की मदद की जनगणना बेहद आसान होगी। आपको बता दें कि एनपीआर पहली बार 2010 में यूपीए सरकार में शुरू हुआ और सारे लोगों का रजिस्टर बना था और 2015 में इसका अपडेशन हुआ। मोदी सरकार की मानें तो जनगणना का काम हर 10 साल में होता है, इसलिए 2020 में जनगणना का काम पूरा करना है।