दिल्ली के महरौली में स्थित कुतुब मीनार को ऐतिहासिक धरोहर का दर्जा दिया गया है। इसकी ऊंचाई 72.5 मीटर है और इसका व्यास 14.32 मीटर है जो शिखर तक पहुंचने पर 2.5 मीटर रह जाता है। बता दें कि यह मीनार इन दिनों भगवान गणेश की दो मूर्तियों को लेकर चर्चा में हैं। दरअसल राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को कुतुब मीनार परिसर से दो गणेश मूर्तियों को हटाने के लिए कहा है।

द इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के मुताबिक एनएमए के अध्यक्ष तरुण विजय ने साफ किया कि एएसआई को एक पत्र भेजा गया है, जिसमें कहा गया है कि कुतुब परिसर में इस तरह से ‘मूर्तियों का रखना अपमानजनक’ है। उन्हें राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा जाना चाहिए। पत्र में एनएमए द्वारा कहा गया है कि इन मूर्तियों को राष्ट्रीय संग्रहालय में “सम्मानजनक” स्थान दिया जाना चाहिए।

एनएमए ने कहा कि ऐसी पुरावशेषों को संग्रहालयों में रखने का प्रावधान है। गौरतलब है कि NMA और ASI दोनों केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत काम करते हैं। एनएमए प्रमुख तरुण विजय भाजपा नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद हैं। उन्होंने पत्र भेजे जाने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा, “मैंने कई बार साइट का दौरा किया और महसूस किया कि मूर्तियों को कुतुब परिसर में रखना अपमानजनक है। परिसर में स्थित मस्जिद में आने वाले लोगों के पैरों से उनका अपमान होता है।

तरुण विजय का कहना है कि आजादी के बाद, इंडिया गेट से ब्रिटिश राजाओं और रानियों की मूर्तियों को हटाया गया और सड़कों के भी नाम बदल दिए गये। अब हमें उस सांस्कृतिक नरसंहार के धब्बों को साफ करना होगा, जिसका सामना हिंदुओं ने मुगल शासकों के राज में किया था।

बता दें कि भगवान गणेश कि जिन दो मूर्तियों को वहां से हटाने की बात हो रही है उन्हें “उल्टा गणेश” और “पिंजरे में गणेश” कहा जाता है। यह दोनों मूर्तियां कुतुब परिसर में स्थित हैं, जिसे 1993 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया था।

इस परिसर में “उल्टा गणेश” मूर्ति कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद की दक्षिण-मुखी दीवार का हिस्सा है। वहीं लोहे के पिंजरे में बंद दूसरी मूर्ति जमीनी स्तर के करीब है और उसी मस्जिद का हिस्सा है।

विजय ने कहा, “इन मूर्तियों को जैन तीर्थंकरों और यमुना, दशावतार, नवग्रहों के अलावा, राजा अनंगपाल तोमर द्वारा निर्मित 27 जैन और हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करने के बाद लिया गया था।” उन्होंने कहा कि जिस तरह से इन मूर्तियों को रखा गया है वह देश के लिए अपमानजनक है। इसमें सुधार की आवश्यकता है।

गौरतलब है कि कुतुब मीनार के परिसर में स्थित कुव्वत-उल-इस्लाम नामक मस्जिद है। जिसको लेकर अक्सर हिंदूवादी संगठन दावा करते रहे हैं कि यह हिंदू-जैन मंदिरों को तोड़कर बनाया गया है। इसको लेकर 2020 में कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी जिसमें दावा किया गया कि 1192 में मोहम्मद गोरी के गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस मस्जिद को बनवाया था।