राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) की ओर से पोस्ट ग्रेजुएशन (PG) मेडिकल पाठ्यक्रम के संदर्भ में नए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। विद्यार्थियों को तनाव और आत्महत्या से बचाने के लिए अवकाश का प्रावधान किया गया है। साथ ही एक बार पीजी पाठ्यक्रम के लिए निरीक्षण होने के बाद परीक्षा के दौरान बार-बार निरीक्षण नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही परीक्षाओं के दौरान कालेज के पास तय नियमों के अनुसार संसाधन है या नहीं, उसका भी निरीक्षण होता था। अब सभी कालेजों को यह भी सूचित किया गया है कि जब तक एनएमसी से मान्यता न मिले, तब तक पाठ्यक्रम कोर्स शुरू नहीं कर पाएंगे।
छात्रावास में रहना अनिवार्य नहीं, भत्ता भी मिलेगा
पीजी मेडिकल कालेज चलाने वाले संस्थान के पास छात्रावास होना अनिवार्य है। विद्यार्थियों को छात्रावास में ही रहकर पढ़ाई पूरी करनी होती है। नए नियमों में इसमें भी छूट दी गई है। अब विद्यार्थी चाहे तो ही छात्रावास में रह सकते हैं, मतलब छात्रावास में रहने के लिए दबाव नहीं बनाया जाएगा। कई कालेज विद्यार्थियों से छात्रावास का बड़ा शुल्क वसूल करते हैं। इस वजह से विद्यार्थियों पर आर्थिक बोझ भी बढ़ता है, जो नए नियम के चलते कम हो जाएगा। अब सरकारी कालेजों के अनुसार निजी कालेजों को भी विद्यार्थियों को भत्ता देना पड़ेगा।
अवकाश के नियमों में भी हुआ महत्वपूर्ण बदलाव
किस तरह परीक्षा होगी व मूल्यांकन किया जाएगा, परीक्षा के दौरान किस तरह निरीक्षक की नियुक्ति होगी और पाठ्यक्रम किस तरह का होगा, नए दिशा-निर्देशों में इसका भी उल्लेख किया गया है। मेडिकल कालेज के कई विद्यार्थी तनाव का शिकार होकर आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। इस पर अंकुश लगाने के लिए अब पीजी मेडिकल विद्यार्थियों को अवकाश देने का भी प्रावधान किया गया है। पीजी मेडिकल विद्यार्थियों से 24 घंटे सेवा ली जाती है। ऐसी शिकायत मिलने के कारण विद्यार्थियों की ड्यूटी को लेकर नए नियमों में राहत दी गई है।
नए नियमों से कई कठिनाइयों का हो जाएगा समाधान
एनएमसी में स्रातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. विजय ओझा ने बताया कि नए नियमों से स्रातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद छात्रों को अपनी डिग्री पंजीकृत करने में आने वाली कई कठिनाइयों का समाधान हो जाएगा। नए नियमों में कहा गया है कि सभी स्रातकोत्तर छात्र पूर्णकालिक रेजीडेंट डाक्टरों के रूप में और ‘उचित कार्य घंटों’ में काम करेंगे और उन्हें एक दिन में ‘आराम के लिए उचित समय’ प्रदान किया जाएगा। उन्हें प्रति वर्ष न्यूनतम 20 दिन की आकस्मिक छुट्टी और प्रति वर्ष पांच दिन की शैक्षणिक छुट्टी की अनुमति होगी। नए नियमों में कहा गया है कि अनिवार्य काम होने पर स्रातकोत्तर छात्रों को एक साप्ताहिक अवकाश की अनुमति दी जाएगी। डॉ. ओझा ने कहा कि इससे पहले लिखित में छुट्टी का प्रावधान नहीं था।
चिकित्सा महाविद्यालयों में पोस्ट डाक्टोरल फेलोशिप पाठ्यक्रम की शुरुआत की
चिकित्सा शिक्षा नियामक राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (NMC) ने पहली बार उसके द्वारा विनियमित चिकित्सा महाविद्यालयों में पोस्ट डाक्टोरल फेलोशिप पाठ्यक्रम की शुरुआत की है। आयोग को उम्मीद है कि इस पहल से अनुसंधान और चिकित्सीय कौशल विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।
चिकित्सा संस्थान अब तक चिकित्सकों को प्रशिक्षित करने के लिए अपने स्तर पर ही यह पाठ्यक्रम तैयार कर उसे मंजूरी दे रहे थे। नियामक ने हाल ही में ‘पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन, 2023’ को अधिसूचित किया है। इसके अनुसार एक बार चिकित्सा महाविद्यालय को स्रातकोत्तर पाठ्यक्रम या सीट शुरू करने की अनुमति मिल जाने के बाद पाठ्यक्रम को मान्यता प्राप्त माना जाएगा।