राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के साथ ही उसपर आपत्ति जताई गई है। कांग्रेस ने इसको लेकर डिसेंट नोट जारी करते हुए इस पूरी चुनावी प्रक्रिया को ही गलत बताया है। आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने असहमति जताते हुए कहा है कि ये प्रक्रिया पूर्व से निर्धारित था इस नियुक्ति को लेकर पहले कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया और सहमति भी नहीं ली गई।
पूर्व न्यायाधीश वी रामासुब्रमण्यम बने अध्यक्ष
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वी रामासुब्रमण्यम को NHRC का नया अध्यक्ष बनाया गया है। इसके साथ ही प्रियंक कानूनगो और न्यायमूर्ति डॉ विद्युत रंजन सारंगी को आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यह नियुक्ति की है।
इन जजों की हुई थी सिफारिश
राज्यसभा में विपक्ष के नेता खड़गे और राहुल गांधी ने NHRC के अध्यक्ष पद के लिए जस्टिस के. मैथ्यू जोसेफ और जस्टिस रोहिंगटन फली नरीमन के नाम का प्रस्ताव रखा था। लेकिन जब नियुक्ति हुई तो पता चला कि जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यम को मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
राहुल गांधी और खड़गे ने इसको लेकर कहा कि चयन समिति की बैठक बीते बुधवार को हुई थी। जिसमें आपसी बातचीत और परामर्श- आम सहमति को नजरअंदाज कर दिया गया। ऐसे में चयन समिति की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं साथ ही निष्पक्षता को भी कमजोर कर रहा है।
NHRC अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर विपक्षी नेताओं ने कहा कि मानवाधिकार आयोग एक महत्वपूर्ण संवैधानिक निकाय है। इस संस्था का काम देश के सभी नागरिकों और खास तौर पर समाज के हाशिए पर पड़े लोगों के मौलिक मानवाधिकारों की रक्षा करना है। दोनों नेताओं ने कहा कि उन लोगों ने आयोग के सदस्य के तौर पर एस. मुरलीधर और जस्टिस कुरैशी के नाम की सिफारिश की थी। इन दोनों जजों का रिकॉर्ड मानवाधिकार को लेकर बहुत ही शानदार रहा है।