नेशनल कांफ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर पुलिस पदकों के नाम से ‘शेर-ए-कश्मीर’ शब्द हटाए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई। पार्टी संस्थापक शेख अब्दुल्ला को ‘शेर-ए-कश्मीर’ कहा जाता है। पार्टी ने आरोप लगाया कि प्रशासन “बदले की कार्रवाई” के तहत ऐसा कर रहा है। यह कदम इतिहास से खिलवाड़ है। पार्टी का कहना है कि शेख अब्दुल्ला ने इस राज्य के लिए बहुत कुर्बानी दी है। उनके नाम को बदलना इतिहास काे बदलने की साजिश की तरह है।

पार्टी नेता पीर अफाक अहमद ने एक बयान में कहा, “यह जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक विशिष्टता के हर प्रतीक को अलग करने के लिए सोच समझकर किया गया प्रयास है।” कहा कि भारतीय संविधान से जुड़े आदर्शों और संघवाद की उसकी भावना के खिलाफ पूर्वाग्रह रखने वाली केंद्र सरकार “शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के साथ जुड़ी हर चीज को निशाना बनाने से बाज नहीं आ रही है।”

उन्होंने कहा कि यह कदम जम्मू-कश्मीर के इतिहास से छेड़छाड़” की कोशिश है। उन्होंने कहा, शेख अब्दुल्ला का व्यक्तित्व तुच्छ सम्मान एवं पुरस्कारों से ऊपर है। जम्मू-कश्मीर गृह विभाग के प्रधान सचिव शालीन काबरा ने शनिवार को कहा था कि ‘शौर्यता के लिए शेर-ए-कश्मीर पुलिस पदक और सराहनीय सेवा के लिए शेर-ए-कश्मीर पुलिस पदक’ को अब से ‘शौर्यता के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस पदक और सराहनीय सेवा के लिए जम्मू-कश्मीर पदक’ पढ़ा जाएगा।

गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख नाम के दो केंद्रशासित प्रदेश बना दिए गए। साथ ही वहां से धारा 370 और 35ए को भी हटा दिया गया। इसके बाद से नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी समेत सभी विपक्षी दलों के प्रमुख नेता नजरबंद हैं। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद खत्म करने और उसका पुराना वैभव वापस लाने के लिए वहां पर कई नए कानून बनाने और पुराने कानूनों को बदलने जा रही है। इसी के तहत सरकार ने वहां से पुलिस पदकों से ‘शेर-ए-कश्मीर’ शब्द हटा दिया है।