अमेरिका की अंतरिक्ष एजंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने भारत के एंटी-सैटेलाइट मिसाइल द्वारा अपने एक सैटेलाइट को निशाना बनाए जाने को ‘भयावह’ करार दिया है। नासा के प्रमुख जिम ब्रिडेंस्टाइन ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के ‘मिशन शक्ति’ के छह दिन बाद यह बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इस परीक्षण से पृथ्वी की निचली कक्षा में मलबे के 400 टुकड़े पैदा हुए जो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के एस्ट्रोनॉट्स के लिए खतरा बन गए हैं।
ब्रिडेंस्टाइन ने कहा, “सारे टुकड़े इतने बड़े नहीं थे कि उन्हें ट्रैक किया जा सके। हम जिन्हें ट्रैक कर पा रहे हैं, वे टुकड़े 10 सेंटीमीटर या उससे बड़े हैं। करीब 60 टुकड़ों को ट्रैक कर लिया गया है।” उन्होंने कहा, “लेकिन 24 टुकड़े अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के ऊपर जा रहे हैं।” भारत ने जिस सैटेलाइट को नष्ट किया वह करीब 300 किलोमीटर ऊंचाई पर था, जो कि ISS या कक्षा के अधिकतर सैटेलाइट्स से काफी नीचे है। भारत ने इस परीक्षण से विश्व की अंतरिक्ष महाशक्तियों में अपना नाम दर्ज करा लिया।
NASA प्रमुख ने आगे कहा, “यह बेहद भयावह है कि ऐसा कुछ किया जाए जिससे वहां मलबा पहुंचे जहां स्पेस स्टेशन है। इस तरह की गतिविधि मानव की अंतरिक्ष यात्रा के साथ मेल नहीं खाती। यह स्वीकार नहीं है और इसका हमपर क्या प्रभाव होगा, इसे लेकर नासा को बेहद स्पष्ट होना पड़ेगा।”
अमेरिकी सेना अंतरिक्ष में वस्तुओं को ट्रैक करती रहती है ताकि वे ISS और सैटेलाइइट्स को नुकसान न पहुंचा सकें। अभी वह 10 सेंटीमीटर से बड़ी करीब 23 हजार वस्तुओं को ट्रैक कर रहे हैं।
देखें क्या बोले नासा प्रमुख:
इन 23 हजार चीजों में मलबों के करीब 10 हजार टुकड़े हैं जिनमें से तीन हजार तब बने थे जब चीन ने 2007 में एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का टेस्ट किया था। ब्रिडेंस्टाइन के अनुसार, भारतीय परीक्षण के बाद ISS से टकराव का खतरा पिछले 10 दिन में 44 फीसदी बढ़ गया है। हालांकि खतरा समय के साथ कम होता जाएगा क्योंकि अधिकतर टुकड़े वातावरण में प्रवेश के बाद जल जाएंगे।