Coconut Oil Controversy: नारियल तेल का इस्तेमाल खाने के तेल के तौर पर किया जाए या इसका इस्तेमाल बॉडी व सिर पर लगाने में किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने 20 साल पुरानी इस पहेली को सॉल्व कर दिया है। सीजेआई संजीव खन्ना की तीन जजों की बेंच ने साफ कर दिया कि तेल की पैकेजिंग पर जो भी लिखा होगा, उसी आधार पर एक्साइज ड्यूटी लगाई जाएगी।
टॉइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट के सामने सवाल यह था कि शुद्ध नारियल तेल को किस कैटेगरी में रखा जाए। इस सवाल पर तत्कालीन सीजेआई और जस्टिस आर भानुमति की बेंच ने बंटा हुआ फैसला दिया था। जस्टिस गोगोई का विचार था कि छोटे पैकेजिंग में नारियल तेल को सही तरीके से खाद्य तेल के तौर पर डिवाइड किया जाना चाहिए। जस्टिस भानुमति का मानना था कि छोटे कंटेनरों में पैक किए गए नारियल तेल को हेयर ऑयल के तौर पर क्लासिफाइड किया जाना चाहिए।
तीन जजों की बेंच ने अपने फैसले में क्या कहा
इस समय भी देश के अलग-अलग हिस्सों में कोको नट ऑयल का दोहरा इस्तेमाल हो रहा है। अब मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की तीन जजों की बेंच ने माना कि कंपनियां जिस तरह से अपने तेल को ब्रॉन्ड करके बेचेंगी, उसी के आधार पर इसे क्लासिफिकेशन कर खाद्य सुरक्षा नियमों या फिर ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत उस पर टैक्स वसूला जाएगा।
आपको सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करना होगा
रेवेन्यू डिपॉर्टमेंट ने क्या दलील दी
इस पूरे मामले में रेवेन्यू डिपॉर्टमेंट की तरफ से दलील दी गई थी कि शुद्ध नारियल तेल को हमेशा हेयर ऑयल के रूप में माना जाना चाहिए। बेंच ने कहा कि कोई व्यक्ति अपने खाना पकाने के तेल को कम मात्रा में खरीदना चुन सकता है, चाहे वह आर्थिक कारणों से हो या स्वास्थ्य कारणों से या भोजन तैयार करने में ताजा तेल का इस्तेमाल करने की इच्छा की वजह से और ऐसे तेल की पैकेजिंग के छोटे साइज का यह अर्थ नहीं लगाया जा सकता कि इसका इस्तेमाल ‘बालों के तेल’ के तौर पर किया जाना है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मैरिको और बजाज कंज्यूमर जैसे एफएमसीजी कंपनियों और ग्राहकों दोनों को बहुत बड़ी राहत मिली है। ‘यह दयनीय है…’, जानिए हाई कोर्ट के कुछ जजों को मिल रही पेंशन पर क्यों सुप्रीम कोर्ट ने कहा ऐसा पढ़ें पूरी खबर…