भारत में क्रिकेट के लिए दीवानगी सबसे ज्‍यादा है। क्रिकेटर्स की लोकप्रियता बॉलीवुड स्‍टार्स से कम नहीं होती तो कमाई करोड़ों में होती है। आलीशान घर और कारें रखना इनका शौक होता है। इसके बावजूद एक क्रिकेटर ऐसा भी है जो अपने कामयाब करियर के बावजूद आज पैसों का मोहताज है। ये खिलाड़ी मजदूरी कर किसी तरह अपना पेट पाल रहा है।

2018 में नेत्रहीन क्रिकेट विश्व कप के फाइनल में नेत्रहीन क्रिकेटर नरेश तुमदा ने पाकिस्तान के 308 रनों के विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय नेत्रहीन क्रिकेट टीम को चैंपियन बनाया था। गुजरात के नवसारी के नरेश ने भारत का राष्‍ट्रीय, अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर मान बढ़ाया लेकिन आज ये खिलाड़ी गुमनामी में दर दर की ठोकरें खा कर किसी तरह अपनी आजीविका चला रहा है पर कई सुध लेने वाला नहीं है।

नरेश तुमदा आज मजदूरों की तरह काम करके अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा है। भारत को नेत्रहीन क्रिकेट विश्व कप 2018 जीतने में मदद करने वाली टीम के सदस्य नरेश तुमदा अब आजीविका कमाने के लिए नवसारी में मजदूरी करते हैं। उनका कहना है कि वो रोजाना 250 रुपये कमाते हैं।

सरकार से तीन बार नौकरी के लिए अनुरोध किया लेकिन जवाब नहीं मिला। नरेश का कहना है कि वो गुजरात के मुख्यमंत्री से सरकारी नौकरी की गुहार लगा चुके हैं लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। वो सरकार से नौकरी देने की गुहार लगा कहते हैं कि उन्हें अपने परिवार की देखभाल करनी है।

गौरतलब है कि टोक्यो ओलिंपिक में देश के लिए पदक जीतने वाले भारतीय खिलाड़‍ियों पर सरकारें जमकर पैसा बरसा रही है। देश के लिए मैडल जीतने वाले इन खिलाड़ियों को ब्रांड अम्‍बेस्‍डर बनाने समेत कंपनियां कई बड़ें करार भी कर रही हैं। सरकार के एक मंत्री ने तो पीवी सिंधू के पदक को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की सफलता के साथ भी जोड़ दिया।

लेकिन उन खिलाड़ियों की कोई सुध नहीं ले रहा जो या तो कुछ कर गुजरने का माद्दा रखते हैं या फिर जो अपनी जी तेोड़ मेहनत और प्रतिभा से देश को गौरान्वित कर चुके हैं। गुजरात पीएम मोदी का गृह प्रदेश भी है। वहां ये हाल है तो सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि बाकी जगह क्या हाल होगा?