भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों के मुरीद उनके प्रशंसक ही नहीं आलोचक भी हैं। उनके भाषणकला में हिन्दी भाषा पर उनके अधिकार का भी अहम योगदान है। आम चुनावों में हिन्दी पट्टी में बीजेपी ने अभूतपूर्व सफलता भी हासिल की थी। भारतीय भाषाओं में सबसे ज्यादा प्रसार हिन्दी ही का है। देश की करीब आधी आबादी हिन्दी समझती है। लेकिन पीएम मोदी की हिन्दी इतनी अच्छी कैसे हुई? इस सवाल का जवाब खुद पीएम मोदी ने पिछले साल अंतरराष्ट्रीय दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में दिया था।

पीएम मोदी ने कार्यक्रम में बताया था कि जब वो पहली बार राजनीतिक दायित्व निभाने गुजरात से बाहर गए तो लोग उनकी अच्छी हिन्दी पर हैरान होते थे। पीएम ने बताया था , “जब मैं राजनीतिक जीवन में आया तो मुझे पहली बार गुजरात से बाहर काम करने का अवसर मिला। हम जानते हैं कि हम गुजराती लोग हिन्दी कैसी बोलते हैं, लोग मजाक भी उड़ाते हैं लेकिन मैं जब बोलता था तो लोग पूछते थे कि मोदी जी आप हिन्दी भाषा सीखे कहां से। आप इतनी हिन्दी सीखे कहां से?”

पीएम मोदी केवल स्कूल तक ही नियमित शिक्षा हासिल कर सके थे। पीएम मोदी ने बताया, “हम वही पढ़े थे जो सामान्य रूप से पढ़ाया जाता था। स्कूल में थोड़ा पढ़ा था, ज्यादा नहीं लेकिन मुझे चाय बेचते बेचते ये सीखने का अवसर मिल गया। क्योंकि मेरे गांव में उत्तर प्रदेश के व्यापारी जो मुंबई में दूध का व्यापार करते थे उनके एजेंट…वो हमारे गांव के किसानों से भैंस लेने के लिए आते थे। दूध देने वाली भैंसों को वो ट्रेन के डिब्बे में मुंबई ले जाते थे और जब भैंस दूध देना बंद कर देती थी तो उन्हें गांव वापस छोड़ जाते थे।”

[jwplayer FyCzvMQk]

पीएम मोदी ने आगे बताया था, “ज्यादातर रेलवे स्टेशन पर मालगाड़ी में भैंसों को लाने, ले जाने का कारोबार हमेशा चलता रहता था। वो कारोबार करने वाले ज्यादातर उत्तर प्रदेश के हुआ करते थे। और मैं उनको चाय बेचने जाता था। उनको गुजराती नहीं आती थी और मुझे हिन्दी जाने बिना चारा नहीं था तो चाय ने मुझे हिन्दी सिखा दी थी।” कार्यक्रम में पीएम मोदी ने भाषा सीखने के लिए गुरुमंत्र भी दिया था। पीएम ने कहा था, “भाषा सहजता से सीखी जा सकती है। थोड़ा सा प्रयास करें. कमियां रहती हैं, जीवन के आखिर तक कमियां रहती हैं लेकिन आत्मविश्वास खोना नहीं चाहिए, आत्मविश्वास रहना चाहिए कमियां होंगी थोड़े दिन लोग हंसेंगे लेकिन फिर उसमें सुधार आ जाएगा।”

Read Also: हिंदी दिवस: हिंदी-उर्दू विवाद को अंग्रेजों ने ‘फूट डालो राज करो’ के तहत दिया बढ़ावा