भाजपा विरोधी महागठबंधन ने बुधवार को चुनाव आयोग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो पर प्रसारित होने वाले ‘मन की बात’ कार्यक्रम पर बिहार चुनाव खत्म होने तक रोक लागने की मांग की।

पार्टी ने आशंका जताई कि वे मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन चुनाव आयोग ने संकेत दिया कि इस पर पूर्णत: रोक नहीं लगाई जा सकती। तीन दलों, जनता दल (एकी), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री के इस रेडियो कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग को लेकर चुनाव आयोग के सामने अपनी बात रखी।

प्रतिनिधिमंडल ने अपने ज्ञापन में कहा कि प्रधानमंत्री को ‘मन की बात’ कार्यक्रम करने की इजाजत देना भाजपा को पूरी तरह से अनुचित लाभ देना होगा। इससे मतदान प्रक्रिया की निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए जरूरी समान अवसर का सिद्धांत प्रभावित होगा।

यद्यपि चुनाव आयोग ने इस याचिका पर अभी कोई फैसला नहीं किया है। लेकिन आयोग के सूत्रों ने कहा कि कार्यक्रम पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। साथ ही इस तरह की किसी मांग पर वह तब ही संज्ञान ले सकता है अगर कार्यक्रम की सामग्री आचार संहिता का उल्लंघन करती हो।

आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कैबिनेट बैठक और मन की बात जैसी चीज पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। लेकिन चुनाव आयोग तब संज्ञान ले सकता है जब पाया जाए कि कैबिनेट का फैसला या कार्यक्रम की सामग्री चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करती है। आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कैबिनेट बैठक और मन की बात जैसे कार्यक्रम पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता, लेकिन चुनाव आयोग तब संज्ञान ले सकता है जब पाया जाए कि कैबिनेट का फैसला या कार्यक्रम की सामग्री आचार संहिता का उल्लंघन करती है।

उन्होंने कहा कि अगर इस तरह की शिकायत की जाती है तो चुनाव आयोग कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग और उसके लिप्यंतरण का अध्ययन करता है और तब फैसला लेता है। कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान भी कार्यक्रम के खिलाफ इस तरह की शिकायत की थी। लेकिन चुनाव आयोग को कार्यक्रम में कुछ भी आपत्ति जनक नहीं मिला था। ‘मन की बात’ कार्यक्रम की अगली कड़ी रविवार को प्रसारित होगी। यह नियमित रेडियो प्रसारण है जिसमें मोदी विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार साझा करते हैं।

भाजपा सचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा कि गठबंधन का कदम बचकाना था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ऐसी ही मांग पूर्ववर्ती विधानसभा चुनावों के दौरान भी की थी जिसमें हरियाणा का चुनाव भी शामिल था। लेकिन आयोग ने उसे खारिज कर दिया था। वे हताश हैं। वे इसके स्पष्ट संकेत देख सकते हैं कि बिहार में उनकी हार निश्चित है। चुनाव विकास के एजंडे पर लड़ा जा रहा है जबकि नीतीश कुमार, लालू प्रसाद और कांग्रेस के पास लोगों को दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है।

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि कुछ लोगों को उन सभी चीजों से समस्या है जो मोदी करते हैं। कांग्रेस ने उनके बिहार पैकेज पर भी आपत्ति जताई थी। क्या किया जा सकता है?

दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के महासचिव राम माधव ने जयपुर में कहा कि हमें क्या बोलना है, कब बोलना है, कैसे बोलना है, यह विपक्ष तय नहीं करेगा, हम तय करेंगे। विपक्ष के एक वर्ग ने लोकसभा को एक महीने तक नहीं चलने दी राजनीतिक क्षेत्र में मुद्दों पर विरोध होना चाहिए और उस पर बहस हो। लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को चलने नहीं देना और हमारे बीच के संबंध एक घृणा का भाव पैदा करना ठीक नहीं है।

उन्होंने कहा कि विपक्ष में बैठने वाले लोगों का काम केवल विरोध करने की सोचते हैं चाहे सरकार अच्छा भी करे तो भी विपक्ष उसकी मुखालफत करते हैं। यह आजकल बहुत ज्यादा हो गया है। विपक्ष का काम केवल सरकार के अच्छे काम को आगे नहीं बढ़ने देना है। क्योंकि अच्छा काम यदि हो तो उसका श्रेय सरकार को मिल जाएगा यह सोच दुर्भाग्यपूर्ण है।