भारत की अगुआई में रविवार को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 192 देशों के 251 से अधिक शहरों में मनाया गया। राजपथ पर हुए मुख्य समारोह को वर्ल्ड रेकार्ड का तमगा भी हासिल हुआ। दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध स्थल सियाचिन से लेकर समुद्र में भारतीय युद्धपोतों पर भी योग किया गया।
दिल्ली में कार्यक्रम की कमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगभग 35 हजार लोगों के साथ राजपथ को योगपथ में बदलते हुए खुद संभाली। इसके साथ ही देश के राज्यों में भी योग दिवस मनाया गया। संयुक्त राष्टÑ में हुए कार्यक्रम की अगुआई विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने की। ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, चीन, सिंगापुर, थाईलैंड, नेपाल सहित कई देशों में योग के कार्यक्रम हुए। पाकिस्तान में योग दिवस का आयोजन भारतीय उच्चायोग परिसर तक सीमित रहा।
राजपथ पर 35985 लोगों ने योग किया और इसमें 84 देशों के प्रतिनिधि मौजूद थे जिससे यह कार्यक्रम ‘गिनीज वर्ल्ड रेकार्ड्स बुक’ में दर्ज हो गया। आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, ‘यह भारत के लिए गर्व की बात है कि हमने एक दिन में दो कीर्तिमान स्थापित किए’। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कीर्तिमान स्थापित करने और कार्यक्रम के सफल आयोजन पर सभी को बधाई दी है।
राजपथ के समारोह ने 19 नवंबर 2005 का पिछला रेकार्ड तोड़ दिया जब जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के विवेकानंद केंद्र के नेतृत्व में 362 स्कूलों के 29973 छात्रों ने 18 मिनट तक सूर्य नमस्कार के लिए कई योग क्रियाएं की थीं। गिनीज वर्ल्ड रेकार्ड्स के कीर्तिमान सत्यापन मामलों के वैश्विक प्रमुख मार्को सरिगाटी ने कहा कि ‘एर्नस्ट एंड यंग’ ने पूरे कार्यक्रम में शामिल लोगों की संख्या की जांच की। उन्होंने कहा कि पहली बार रेकार्ड बुक्स में जगह बनाने के लिए किसी योग कार्यक्रम के लिए न्यूनतम मानदंड कम से कम 50 देशों के लोगों का शामिल होना तय हुआ।
AYUSH Ministry awarded 2 Guinness World Record titles for ‘Largest Yoga lesson’ & ‘Most nationalities in Yoga lesson’ pic.twitter.com/7faHPmCMPl
— ANI (@ANI_news) June 21, 2015
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजपथ पर कहा कि योग अभ्यास का यह सूरज ढलता नहीं है। उन्होंने आगाह किया कि योग बिकने वाली वस्तु या किसी की बपौती नहीं बनाई जानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने योग को परिभाषित करते हुए इसे जीवन को जी भर कर जीने की जड़ीबूटी बताया। उन्होंने कहा कि यह मानव मन को शांति और सौहार्द के लिए उन्मुख करने की एक पारंपरिक कला है।
मोदी ने राजपथ पर आयोजित विशेष योग सत्र में कराए गए योग के 21 आसनों में खुद भी ज्यादातर आसनों में हिस्सा लिया। राजपथ पर योग करने वालों में प्रधानमंत्री के अलावा दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अलावा भारत में अमेरिका के राजदूत रिचर्ड राहुल वर्मा समेत बड़ी संख्या में विदेशी राजनयिकों ने हिस्सा लिया।
प्रधानमंत्री ने राजपथ पर वृहद योग कार्यक्रम के दौरान कहा कि पूरब से पश्चिम तक सूरज की पहली किरण जहां-जहां पड़ेगी और 24 घंटे बाद सूरज की किरण जहां समाप्त होगी, ऐसा कोई स्थान नहीं होगा जहां योग नहीं हो रहा हो। और पहली बार दुनिया को यह स्वीकार करना होगा कि यह सूरज योग अभ्यासी लोगों के लिए है और योग अभ्यास का यह सूरज ढलता नहीं है।
मोदी ने कहा- हम केवल इसे एक दिवस के रूप में नहीं मना रहे हैं बल्कि हम मानव के मन को शांति के नए युग की ओर उन्मुख बना रहे हैं। यह कार्यक्रम मानव कल्याण का है और शरीर, मन को संतुलित करने का माध्यम और मानवता, प्रेम, शांति, एकता, सद्भाव के भाव को जीवन में उतारने का कार्यक्रम है।
राजपथ के बाद विज्ञान भवन में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय योग सम्मेलन में उन्होंने आगाह किया कि योग को ‘कमोडिटी’ बना दिया तो योग का ही सबसे बड़ा नुकसान होगा। योग को आगे बढ़ाने में दुनिया के अन्य क्षेत्र के लोगों का योगदान भी है। हम उनके भी आभारी हैं। हम इसे अपनी बपौती बना कर नहीं रखें। यह मानव का है।
मोदी ने कहा कि दुनिया में कोई इंसान ऐसा नहीं है जो जी भर कर या भरपूर जीवन जीना नहीं चाहता हो और योग जीवन को जी भर कर जीने की जड़ीबूटी है। उन्होंने कहा कि योग का दृष्टिकोण मानवता के लिए सौहार्दपूर्ण जीने की जीवनशैली है। कई लोग योग को व्यवस्था के रूप में देखते हैं। पर योग व्यवस्था नहीं अवस्था है। उन्होंने कहा कि योग एकात्मता के भाव को आगे बढ़ाता है। यह लालच और हिंसा के भाव को नियंत्रित करता है। यह परिवार, समाज और देशों में गलतफहमी और द्वेष को दूर करता है।
राजपथ पर तय कार्यक्रम में प्रधानमंत्री को मौजूद लोगों को केवल संबोधित करना था और उनका योग करने का कोई कार्यक्रम नहीं था। लेकिन उन्होंने 21 योग आसनों में से अधिकतर में हिस्सा लेकर सबको चौंका दिया। उन्होंने आम लोगों के बीच बैठकर योगासन किया। इस दौरान वे योगासन कर रहे लोगों के बीच भी गए।
योगासन के लिए राजपथ पर भारी संख्या में लोगों के मौजूद होने पर प्रधानमंत्री ने हर्ष जताते हुए कहा कि क्या किसी ने कल्पना की होगी कि राजपथ, योगपथ बन जाएगा। प्रधानमंत्री की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने पिछले साल दिसंबर में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया था और 177 देश इसके सह प्रस्तावक बने थे। यह प्रस्ताव प्रधानमंत्री ने पिछले साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने पहले संबोधन के दौरान रखा था।
योग कार्यक्रम को विपक्ष का निशाना बनाए जाने के बीच प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम का मकसद सिर्फ और सिर्फ मानवता का कल्याण और सद्भावना व तनाव से मुक्ति के संदेश का प्रसार है। प्रधानमंत्री बोले- मेरे लिए यह उतना महत्त्वपूर्ण नहीं है कि यह (योग) किस भूमि पर पैदा हुआ, किस भाग में इसका प्रसार हुआ। महत्त्व इस बात का है कि मानव का आंतरिक विकास होना चाहिए। हम इसे केवल एक दिवस के रूप में नहीं मना रहे हैं बल्कि हम मानव मन को शांति एवं सद्भवना के नए युग की शुरुआत के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं।
मोदी ने कहा कि दुनिया ने विकास की नई ऊंचाइयों को हासिल किया है। प्रौद्योगिकी एक तरह से जीवन के हर क्षेत्र में प्रवेश कर गया है। बाकी सब चीजें तेज गति से बढ़ रही हैं। दुनिया में हर प्रकार की क्रांति हो रही है। लेकिन कहीं ऐसा न हो कि इंसान वहीं का वहीं बना रह जाए और विकास की अन्य सभी व्यवस्थाएं आगे बढ़ जाएं। अगर इंसान वहीं का वहीं बना रह जाएगा और विकास की अन्य व्यवस्थाएं आगे बढ़ जाएंगी तब एक ‘मिसमैच’ (असंतुलन) हो जाएगा। और इसलिए मानव का भी आंतरिक विकास होना चाहिए। विश्व के पास इसके लिए योग ऐसी ही एक विद्या है।
मोदी ने कहा कि योग का महत्त्व इस संदर्भ में है कि हम सबके साथ अंतर्मन को कैसे ताकतवर बनाएं और मनुष्य ताकतवर बनकर कैसे शांति का मार्ग प्रशस्त करे। ज्यादातर लोग योग को अंग मर्दन का माध्यम मानते हैं। मैं मानता हूं कि यह सबसे बड़ी गलती है। अगर योग अंग गोपांग मर्दन का कार्यक्रम होता तब सर्कस में काम करने वाले बच्चे योगी कहलाते। शरीर को केवल मोड़ देना या अधिक से अधिक लचीला बनाना ही योग नहीं है। प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि देश में योग के पक्ष में माहौल बनेगा और यह भविष्य में भी जारी रहेगा।
मोदी ने कहा कि हम केवल इसे एक दिवस के रूप में नहीं मना रहे हैं बल्कि हम मानव के मन को शांति के नए युग की ओर उन्मुख बना रहे हैं। यह कार्यक्रम मानव कल्याण का है और शरीर, मन को संतुलित करने का माध्यम और मानवता, प्रेम, शांति, एकता, सद्भाव के भाव को जीवन में उतारने का कार्यक्रम है। यही नहीं, देशभर में 11 लाख से अधिक एनसीसी कैडेट और सुरक्षा व पुलिस बलों के करीब नौ लाख कर्मियों ने अपनी-अपनी क्षेत्र इकाइयों में योग किया।