कुलियों का नाम बदलकर सहायक करने वाली मोदी सरकार ने अब वाराणसी के पंडों और मल्‍लाहों का नाम बदलकर पर्यटक मित्र करने का फैसला किया है। उन्हें अंग्रेजी सिखाई जाएगी। इसके अलावा, कुछ अन्य ट्रेनिंग भी दी जाएगी। इस कार्यक्रम पर खुद पर्यटन मंत्री महेश शर्मा नजर रखेंगे।

शर्मा ने कहा, ”वाराणसी के इकोसिस्‍टम में पंडों की बड़ी भूमिका है। वहां जाने वाले हर शख्‍स से इनकी बातचीत होती है। हमें उनकी छवि और ज्यादा टूरिस्ट फ्रेंडली बनाना चाहते हैं। इसी क्रम में अब उन्हें पर्यटक मित्र कहा जाएगा। ट्रेनिंग के तहत उन्हें लोगों से ठीक ढंग से बातचीत और बर्ताव करने के तरीके सिखाए जाएंगे। इसके तहत सही तरीके से कपड़े पहनना भी बताया जाएगा। हम उन्‍हें यूनिफॉर्म देने पर भी विचार कर रहे हैं।”

इसके अलावा, पंडों और मल्लाहों के 200 लोगों के पहले समूह को फ्रेंच, स्पैनिश, जापानी और जर्मन आदि भाषाओं के महत्‍वपूर्ण शब्‍द और मुहावरे सिखाए जाएंगे। ये सब करने का मकसद वाराणसी आने वाले विदेशी पर्यटकों को लुभाना है। इन के लिए एक हफ्ते लंबी ट्रेनिंग का खाका इंडियन इंस्‍ट‍िट्यट ऑफ टूरिज्म एंड ट्रैवल मैनेजमेंट (IITTM) और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी ने मिलकर तैयार किया है। इस ट्रेनिंग के पहले मॉड्यूल का शनिवार को समापन हो गया। पर्यटन मंत्री ने प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट दिया।

IITTM के डायरेक्‍टर प्रोफेसर संदीप कुलश्रेष्‍ठ ने कहा, ”टूरिज्म मिनिस्‍टर ने इस बात की मंजूरी दी है कि पंडों को विदेशी के अलावा पंजाबी, राजस्‍थानी, बंगाली, गुजराती जैसी कुछ भारतीय भाषाओं की शुरुआती जानकारी दी जाए। उदाहरण के तौर पर उन्हें स्वागत करने, माफी मांगने, शुक्रिया अदा करने जैसे आम तौर पर इस्तेमाल होने वाले इन भाषाओं के वाक्य सिखाए जा रहे हैं।” ये सारी कवायद इसलिए भी की जा रही है क्योंकि पंडों द्वारा पर्यटकों से पैसे ऐंठने से जुड़े कई मामले सामने आने की वजह से उनकी छवि धूमिल हुई है। टूरिज्‍म मिनिस्ट्री के एक अफसर के मुताबिक, मल्‍लाहों को बेहतर ढंग से कपड़े पहनने, बोट में बोतलबंद पानी रखने, लाइफ जैकेट्स का इस्तेमाल करने और भाड़ा फिक्स रखने जैसी तालीम दी जाएगी। बता दें कि वाराणसी में करीब 5 हजार पंडे और इतने ही नाविक हैं। इस तरह की कवायद यहां पहली बार हो रही है।