RBI और मोदी सरकार के बीच बीते कुछ दिनों में तल्‍खी बेहद बढ़ गई है। RBI के डिप्‍टी गवर्नर विरल आचार्य ने सार्वजनिक तौर पर सरकारी हस्‍तक्षेप पर गंभीर सवाल उठाते हुए आर्थिक संकट बढ़ने की आशंका की चेतावनी भी दे डाली है। इसके कारण सरकार और RBI में गंभीर मतभेद उभर कर सामने आए हैं। हालात इस हद तक खराब हो चुके हैं कि RBI के गवर्नर उर्जित पटेल को हटाने तक की बात होने लगी है। धीरे-धीरे अब इस तल्‍खी के संभावित वजहें भी सामने आने लगी हैं। ‘इकोनोमिक टाइम्‍स’ के अनुसार, केंद्रीय बैंक उद्योगपतियों की बैठक में शरीक नहीं हुआ था। इसके बाद सरकार ने बैंक के बोर्ड में मनोनीत सदस्‍यों के जरिये उद्योग जगत की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की थी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बैठक से केंद्रीय बैंक के अलग रहना सरकार और RBI के बीच जारी तल्‍खी का कारण हो सकता है।

RBI के रुख के बाद उद्योग जगत ने सरकार से साधा था संपर्क: पिछले कुछ महीनों में जोखिम वाले कर्ज (NPA) को लेकर RBI ने काफी सख्‍त रुख अपना लिया है। RBI ने इस साल 12 फरवरी को सभी बैंकों के लिए सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कर्ज अदायगी में तय तिथि से एक दिन की भी देरी होने पर देनदारों के खिलाफ कार्रवाई का स्‍पष्‍ट निर्देश दिया गया था। इससे उद्योग जगत में हलचल मच गई थी और इस बाबत सरकार से संपर्क साधा गया था। विश्‍लेषकों का मानना है कि RBI के इस कदम से केंद्र सरकार और नियामक संस्‍था के रिश्‍तों में तल्‍खी आ गई थी। रिपोर्ट की मानें तो दोनों पक्षों में तनातनी को देखते हुए RBI बोर्ड के कुछ सदस्‍यों ने 29 अक्‍टूबर को मुलाकात कर इस पर चर्चा भी की थी। बता दें कि मोदी सरकार ने एस. गुरुमूर्ति को RBI बोर्ड में सदस्‍य मनोनीत किया है। उन्‍होंने ट्वीट कर बोर्ड सदस्‍यों के बीच असहमति की खबरों को खारिज किया था। गुरुमूर्ति ने बताया था कि 5 में से 4 मसलों पर आम सहमति थी।

RBI गवर्नर से बैंकर भी नाखुश: मीडिया रिपोर्ट की मानें तो RBI के गवर्नर उर्जित पटेल के रवैये से सरकार ही नहीं, बल्कि सीनियर बैंकर्स भी नाखुश हैं। जोखिम वाले कर्ज के मसले पर पटेल ने बेहद सख्‍त रवैया अपनाया है, जिससे कई हलकों में नाराजगी है। बताया जाता है कि उर्जित पटेल एनपीए से जुड़ें प्रावधानों में ढिलाई बरतने को तैयार नहीं हैं। बैंकर्स का कहना है कि RBI जमीनी हकीकत से वाकिफ नहीं है और उसके रुख के कारण बैंकों के लिए बिजनेस करना मुश्किल हो गया है। उर्जित पटेल के कामकाज के तौर-तरीकों से भी इनके बीच असहजता का माहौल है।