Narendra Modi Government: नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (NSSO)द्वारा एकत्रित रोजगार आंकड़े का खुलासा नहीं करने के साथ-साथ नरेंद्र मोदी सरकार ने उन सकारात्मक बदलाव को भी छिपा दिया, जिसकी वजह से भारत की जनसांख्यिकी बदल रही है। कथित तौर पर एनएसएसओ सर्वे ने दिखाया था कि भारत में बेरोजगारी पिछले 45 साल में सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गया है, जो 6.1 प्रतिशत है। इसके बाद कई अर्थशास्त्रियों का मानना था कि आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सरकार ने इन आंकाड़ों को सार्वजनिक करने का निर्णय नहीं लिया।

द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के पूर्व अध्यक्ष पीसी मोहनन ने कहा, “एनएसएसओ के माध्यम से यह भी दिखाया जा सकता है कि दसवीं कक्षा से आगे पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई। खासकर महिलाओं की संख्या में। साथ ही स्कूलों में जेंडर गैप में भी कमी आयी। ये सब अच्छी चीजें हैं लेकिन हम बेरोजगारी के डेटा को देख डर गए। उस संख्या को कई समूहों में विभाजित किया जाना है, जहां यह हो रहा है। पहले छात्र 13 से 14 साल की उम्र में स्कूल छोड़ देते थे। अब मैट्रिक या उच्च माध्यमिक तक शायद ही कोई ऐसा कर रहे हैं। पिछले 15 साल में ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा लेने वाली महिलाओं का प्रतिशत दोगुना हो गया है।”

शिक्षा में सुधार: एनएसएसओ के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं द्वारा माध्यमिक शिक्षा या उससे उपर की पढ़ाई का प्रतिशत 2004-05 में 10.2 था, 2017-18 सर्वे में 23 प्रतिशत के पास पहुंच गया है। वहीं, पुरुषों का प्रतिशत 21.1 था जो बढ़कर 35.8 प्रतिशत तक पहुंच गया। बात यदि शहरी क्षेत्र की करें तो यहां 2004-05 में महिलाओं की शिक्षा का प्रतिशत 35.6 प्रतिशत था, जो 2017-18 में बढ़कर 46.4 प्रतिशत हो गया। इसी तरह पुरुषों की शिक्षा का प्रतिशत 48.3 था जो बढ़कर 56.7 प्रतिशत हो गया।

साक्षरता दर में सुधार: महिलाओं की साक्षरता दर 57 प्रतिशत से बढ़कर 70 प्रतिशत हो गई और पुरुषों की 77 प्रतिशत से बढ़कर 84 प्रतिशत। महिलाओं की साक्षरता दर बढ़ने के साथ-साथ शिक्षा में जेंडर गैप भी कम हुआ है।

बेरोजगारी दर बढ़ने की वजह: मोहनन कहते हैं, “युवा अपना ज्यादा समय शिक्षा व्यवस्था में बीता रहे हैं। इस वजह से काम करने के क्षेत्र में कम उम्र वालों की संख्या कम हुई है। लेकिन जैसे हीवे कॉलेज से पासआउट होते हैं, वे सभी खुद को बेरोजगार के रूप में बताने लगते हैं क्योंकि वे तत्काल कोई नौकरी नहीं पाते हैं। इस वजह से बेरोजगारी दर बढ़ी है।”