PM Modi 3.0 100 Days Report Card: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे कर लिए हैं। यहां पर 100 दिनों का जिक्र करना इसलिए जरूरी है क्योंकि पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव के दौरान बार-बार कहा था कि उन्होंने 100 दिनों का रोडमैप पहले से तैयार कर रखा है, वे कई बड़े फैसले अपने तीसरे कार्यकाल में लेने वाले हैं। अब तीसरी बार प्रधानमंत्री बने मोदी अपने कितने वादों को पूरा कर पाए हैं, 100 दिनों का उनका कैसा रिपोर्ट कार्ड रहा है, यह जानने की कोशिश करते हैं।

किसानों के लिए सरकार का खुला खजाना

अब अगर 100 दिनों पर फोकस किया जाए तो पता चलता है कि इस बार पीएम मोदी ने सबसे ज्यादा किसानों पर जोर दिया है। किस तरह से उनकी आमदनी को बढ़ाया जाए, इस पर प्राथमिकता रही है। सरकार बनते ही पीएम ने सबसे पहले किसान निधि के तहत 17वीं किश्त जारी की थी। इसके ऊपर कुछ दिनों के अंदर में ही कई फसलों की एमसएपी बढ़ाने का भी फैसला किया। वर्तमान में कई फसलों की एमएसपी पर 100 से 550 रुपये तक की वृद्धि देखने को मिली है।

आवास योजना का विस्तार, हर किसी को मिले घर

बड़ी बात यह है कि मोदी सरकार की जो कैबिनेट की पहली बैठक हुई थी, उसमें भी कई बड़े फैसले लिए गए। उसमें सबसे बड़ा ऐलान प्रधानमंत्री आवास योजना से जुड़ा हुआ था। पिछले 10 सालों से अलगातार पीएम मोदी का यह विजन रहा है कि हर गरीब को उसका पक्का घर मिले, हर किसी के सिर पर छत होनी चाहिए। इसी कड़ी में तीसरे कार्यकाल में मोदी सरकार ने तीन करोड़ अतिरिक्त घर बनाने का ऐलान कर दिया है। सरकार की ही वेबसाइट से पता चलता है कि 24 जुलाई, 2024 तक 2 करोड़ 94 लाख घरों को मंजूरी दी गई, वही 2 करोड़ 63 लाख घर बनकर तैयार हो गए। पिछले 10 सालों से केंद्र सरकार इसे अपनी एक बड़ी कामयाबी के रूप में दिखा रही है।

क्या कास्ट सेंसस करवाएगी मोदी सरकार? 

इंफ्रा पुश पर फोकस, नहीं बदली 10 साल पुरानी नीति

अब घर बनाने को लेकर प्राथमिकता दिखी, किसानों का ध्यान रखा गया, इस एनडीए सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्टर सेक्टर में भी अपनी नीति में स्थिरता दिखाई है। सिर्फ 100 दिनों की बात करें तो 3 लाख करोड़ से ज्यादा के प्रोजेक्ट्स को यह सरकार मंजूरी दे चुकी है। एक बार फिर सड़क, रेलवे, पोर्ट और एयरवे पर फोकस दिख रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण तो महाराष्ट्र का वधावन मेगा पोर्ट है जिसके लिए सरकार ने 76, 200 करोड़ रुपये आवंटित कर दिए हैं। 25 हजार उन गांवों को भी सड़क से जोड़ने की योजना है जहां अभी तक कनेक्टिविटी नहीं पहुंच पाई है।

मिडिल क्लास को रिझाने की कोशिश, पेंशन पर ऐलान

अब पीएम मोदी ने अपने 100 दिनों में बजट के जरिए थोड़ी राहत मिडिल क्लास को भी देने की कोशिश की है। इनकम टैक्स के स्लैब को 3 लाख से लेकर 7 लाख तक कर दिया गया है, वही जो नई टैक्स रिजीम में आना चाहता है, उसके लिए छूट को 50 हजार से बढ़ाकर 75 हजार करर दिया गया है। इसके ऊपर कुछ दिन पहले ही सरकार ने यूनिफाइ़ड पेंशन स्कीम का भी ऐलान कर दिया है जिसके 25 साल तक अपनी सेवा दे चुके सरकारी नौकरी करने वालों को अपनी सैलरी का 50 फीसदी हिस्सा बतौर पेंशन मिलेगा।

नए कानून, आईपीसी-सीआरपीसी खत्म

वैसे अपने 100 दिनों के कार्यकाल में सरकार ने उन कामों को भी पूरा किया है जिन्हें उन्होंने अपने पिछले टर्म में शुरू किया था। उदाहरण के लिए अब देश में अब आईपीसी और सीआरपीसी का दौर खत्म हो गया है, इसकी जगह भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू कर दिया गया है। इसके ऊपर राजद्रोह जैसे कानून को भी खत्म कर देशद्रोह को जगह दी गई है, उसकी परिभाषा को भी विस्तार से बताया गया है।

गठबंधन की चुनौती सबसे बड़ा फेलियर?

अब अगर सिर्फ इन कामों को देखा जाए तो लगता है कि 100 दिनों में मोदी सरकार ने काफी कुछ किया, उसके लिए सबकुछ अच्छा रहा। लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए इस बार एक गठबंधन की सरकार है। उस सरकार की वजह से कई मजबूरियों का सामना करना पड़ रहा है, कई चुनौतियां पहाड़ की तरह सामने खड़ी हैं। पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि पीएम मोदी को जरूरत से ज्यादा अपने सहयोगियों की चिंता हो रही है। उदाहरण के लिए लगातार आंध्र प्रदेश से सीएम चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात करना, बजट में बिहार को खास पैकेज देना।

सदन में बढ़ी विपक्ष की ताकत, नहीं पारित हो रहे बिल

इसके अलावा अब कई ऐसे बिल हैं जिन्हें यह सरकार पारित ही नहीं करवा पा रही है। तीसरे कार्यकाल में इस सरकार को अपना एक साधारण सा बिल पारित करवाने के लिए खूब मशक्कत करनी पड़ रही है। हाल के दिनों में ही एनडीए सरकार वक्फ बोर्ड में बदलाव वाला बिल लेकर आई थी। खूब बहस हुई, पक्ष-विपक्ष के तर्क हुए, लेकिन सरकार इसे पारित नहीं करवा पाई। इस समय इस बिल को जेपीसी के पास भेज दिया गया है जहां कई पहलुओं पर फिर चर्चा की जाएगी।

हाल ही में लेटरल एंट्री वाले विवाद में भी सरकार को ही अपने कदम पीछे खींचने पड़े। जो सरकार पहले तमाम विरोध के बाद भी तीन कृषि कानूनों को लेकर कई महीनों तक अपने स्टैंड पर कायम रही, लेटरल एंट्री वाले विवाद पर उसने कुछ ही दिनों में अपने कदम पीछे खींच लिए। अब सदन में इस सरकार को चुनौतियों का सामना करना ही पड़ रहा है, इसके ऊपर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की समस्या ही सिर उठा रही है।

आतंकियों का नया एपीसेंटर बना जम्मू

अगर मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल को देखें तो जुलाई 9 तक ही अकेले पांच बड़े आतंकी हमले हो चुके हैं, यह सभी वारदातें जम्मू की हैं। उनमें 10 नागरिकों की मौत हुई और पांच जवान भी शहीद हुए। इसके बाद अगस्त महीने में भी जम्मू ही आतंकवादर का एपीसेंटर बना रहा। ऐसे में बढ़ते हमले विपक्ष को तो मौका दे ही रहे हैं, सरकार के लिए भी चिंता का सबब बन रहा है।