भाजपा नेताओं एस एस अहलूवालिया और एम जे अकबर और सहयोगी दल आरपीआई के रामदास अठावले और अपना दल की अनुप्रिया पटेल समेत 17 नए चेहरों को मोदी सरकार के मंत्रिपरिषद विस्तार और फेरबदल में मंगलवार (5 जुलाई) को जगह दी गई। इस मंत्रिपरिषद विस्तार में शामिल किए गए पुराने चेहरों में विजय गोयल और फग्गन सिंह कुलस्ते हैं। वहीं, पांच मंत्रियों को हटा दिया गया है जबकि पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पदोन्नत करके कैबिनेट मंत्री बनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना दूसरा मंत्रिपरिषद विस्तार मई 2014 में सत्ता की बागडोर संभालने के दो साल से थोड़े अधिक समय बाद किया। कई दलित और ओबीसी नेताओं को अगले साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर जगह दी गई है।
पर्यावरण मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) की जिम्मेदारी संभाल रहे जावड़ेकर एकमात्र मंत्री रहे जिन्हें कैबिनेट रैंक में पदोन्नत किया गया। वहीं, सभी नए चेहरों ने राज्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। इससे पहले ऐसी अटकलें थीं कि बिजली मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जा सकता है। अजय टम्टा (उत्तराखंड), अर्जुन राम मेघवाल (राजस्थान), कृष्णा राज (उप्र), अठावले (महाराष्ट्र), रमेश सी जिगाजिनागी (कर्नाटक) उन दलित चेहरों में शामिल हैं जिन्हें राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, मोदी, उनकी मंत्रिपरिषद के सहयोगी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, सहयोगी दलों के नेताओं समेत अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। कांग्रेस का कोई भी नेता मौजूद नहीं था।
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जिन अन्य लोगों को शपथ दिलाई गई उनमें पी पी चौधरी, सी आर चौधरी (राजस्थान), ए एम दवे, फग्गन सिंह कुलस्ते (मध्य प्रदेश), महेंद्र नाथ पांडेय (उत्तर प्रदेश), पुरुषोत्तम रूपाला, जे भाभोर और मनसुखभाई मंडाविया (गुजरात), राजन गोहैन (असम) और एस आर भामरे (महाराष्ट्र) शामिल हैं। अकबर को हाल में मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य चुना गया था जबकि गोयल उच्च सदन में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करते हैं। अहलूवालिया दार्जिलिंग से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे जबकि अनुप्रिया पटेल उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर से निर्वाचित हुई थीं। मंत्रिपरिषद से जिन मंत्रियों को हटाया गया उसमें निहालचंद, रामशंकर कठेरिया, सांवरलाल जाट, मनसुखभाई डी वासव और एम के कुंदरिया शामिल हैं।
गोयल और फग्गन कुलस्ते को छोड़कर शेष नए चेहरे हैं। वहीं, कुछ अन्य भाजपा शासित राज्य सरकारों में मंत्री रह चुके हैं। पांच मंत्रियों को हटाए जाने के बाद मंगलवार (5 जुलाई) के मंत्रिपरिषद विस्तार के साथ कुल मंत्रियों की संख्या 78 हो गई। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार कुल 82 मंत्री हो सकते हैं। मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की अधिकतम संख्या लोकसभा के सदस्यों की कुल संख्या 542 का 15 फीसदी हो सकती है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस कवायद का लक्ष्य सरकार में अनुभव, विशेषज्ञता और ऊर्जा को समाहित करना है।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि ये पसंद दलितों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में पार्टी के मत आधार को बढ़ाने के भाजपा के प्रयासों को रेखांकित करते हैं। जिन राज्यों में लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया और जहां राज्य विधानसभा चुनाव होने हैं उन्हें अब पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला है। भगवा पार्टी उत्तर प्रदेश में होने वाले महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव से पहले समाज के कमजोर तबके को लुभाने का प्रयास कर रही है।
