Triple Talaq Bill Updates: संसद में ‘तीन तलाक’ बिल को पास कराने में नाकाम रही नरेंद्र मोदी सरकार इसपर अध्यादेश लाएगी। तीन तलाक बिल पर चुनाव से पहले अध्यादेश को मोदी सरकार ने मंजूरी दे दी है। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में मंगलवार (19 फरवरी) को यह फैसला लिया गया। दरअसल, मोदी सरकार ने तीन तलाक बिल को संसद में पास कराने की पूरी कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो सकी। सदन में संख्या बल की वजह से यह बिल लोकसभा में पास हो गया, लेकिन राज्यसभा में बहुमत न होने की वजह से अटक गया।
मौजूदा लोकसभा के भंग होने के साथ ही तीन जून को यह विधेयक भी समाप्त हो जाएगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि कैबिनेट ने तीन तलाक पर अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पहले हस्ताक्षरित यह अध्यादेश पिछले लगभग एक साल में तीसरी बार प्रभावी हो रहा है। आगामी चुनाव से पहले इस बिल पर अध्यादेश लाने के कदम को मुस्लिम महिला मतदाताओं को एनडीए की ओर गोलबंद करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
इसके साथ ही केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ क्षेत्रीय द्रुत परिवहन प्रणाली को हरी झंडी दी। सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी को गाजियाबाद के रास्ते मेरठ से जोड़ने के लिए क्षेत्रीय द्रुत परिवहन प्रणाली के निर्माण पर 30,274 करोड़ रुपये की लागत आयेगी। बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ‘‘मंत्रिमंडल ने क्षेत्रीय द्रुत परिवहन प्रणाली (आरआरटीएस) के निर्माण को मंजूरी दे दी है। यह 82.15 किलोमीटर की होगी।’’ इस 82.15 किलोमीटर में से 68.03 किलोमीटर का मार्ग पुल के रूप में खंभों पर होगा और शेष 14.12 किलोमीटर का रास्ता भूमिगत होगा। उन्होंने कहा कि इस परियोजना पर 30,274 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। मेरठ और गाजियाबाद उत्तर प्रदेश में हैं।
मंत्रिमंडल ने कंपनी कानून में जरूरी संशोधनों को भी शामिल करने के लिये अध्यादेश लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इन संशोधनों में कानून में व्याप्त कंपनी संचालन, प्रवर्तन संबंधी रूपरेखा से जुड़ी खामियों को दूर करने और कारोबार सुगमता में सुधार लाने के उपाय किये गये हैं। कंपनी कानून (संशोधन) अध्यादेश 2018 के स्थान पर लाया गया विधेयक संसद के पिछले सत्र में पारित नहीं हो पाया। यह अध्यादेश पिछले साल नवंबर में लाया गया था। यही वजह है कि सरकार ने कंपनी कानून (दूसरा संशोधन) अध्यादेश 2019 लाने का फैसला किया है।
सरकार ने कहा है कि इसमें किसी प्रकार की तकनीकी और प्रक्रियात्मक खामी के लिये मामूली प्रकृति के दंड के प्रावधान का प्रस्ताव है। इसके अलावा कंपनियों में संचालन व्यवस्था और प्रवर्तन रूपरेखा से जुड़े व्यापक मुद्दों को कवर करते हुये खामियों को दूर करने का प्रयास किया गया है। कंपनी कानून में 16 मामूली प्रकृति के अपराधों का नये सिरे से वर्गीकरण्या किया गया है और उन्हें ‘‘शुद्ध रूप से नागरिक चूक’’ माना गया है। इससे विशेष अदालतों का बोझ कम होगा। इसके साथ ही कुछ सामान्य कार्यों को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) से हटाकर केन्द्र सरकार को हस्तांतरित किया गया है। इनमें वित्तीय वर्ष में बदलाव के आवेदन और कंपनियों को पब्लिक से प्राइवेट कंपनी में बदलने संबंधी कुछ कार्य हैं। (भाषा इनपुट के साथ)