जम्मू-कश्मीर के उरी में हुए आतंकी हमले में 18 भारतीय जवानों के मारे जाने के बाद भारत और पाकिस्तान के संबंधों में काफी तनाव आ गया है। दोनों देशों का आपसी रिश्ता एक नए अप्रिय मोड़ पर पहुंच चुका है। लेकिन एक वक्त था जब ऐसा लगने लगा था कि दोनों देशों के प्रधानमंत्री आपसी रिश्तों को बेहतर बनाने लिए प्रतिबद्ध हैं। मई 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री बनने जा रहे थे तो उन्होंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन (दक्षेस) के सभी सदस्य देशों के प्रमुखों को निमंत्रित किया। मोदी के शपथ ग्रहण में आने वालों में पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ भी शामिल थे। तब मोदी ने नवाज शरीफ की मां के लिए एक शॉल भेंट की। वहीं शरीफ ने मोदी की मां के लिए साड़ी तोहफे के तौर पर दी। दोनों नेताओं के बरताव से ऐसा लगा जैसे वो भारत-पाक संबंधों की दिशा में नई पहल करने की कोशिश कर रहे हैं।
जुलाई 2015 में नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ रूस के उफा में मिले। दोनों नेता वहां शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन सम्मिट में शामिल होने गए थे। दोनों नेताओं ने मुलाकात के बाद एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया जिसमें आतंकवाद, सीमापार घुसपैठ और संघर्ष विरा समझौते के उल्लंघन जैसे मुद्दे शामिल थे। उस मुलाकात में दोनों प्रधानमंत्रियों ने तय किया कि भारत के सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और पाकिस्तान के सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज नई दिल्ली में ‘आतंकवाद से जुड़े सभी मुसलों पर चर्चा’ के लिए मिलेंगे।
नवंबर 2015 में नरेंद्र मोदी फ्रांस की राजधानी पेरिस में नवाज शरीफ से मिले। दोनों नेता संयुक्त राष्ट्र संघ के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में शामिल होने के लिए गए थे। दोनों नेताओं ने कुछ मिनटों के अनौपचारिक तौर पर मुलाकात की। उसके बाद दोनों देशों के सुरक्षा सलाहकारों के बीच बैंकॉक में बैठक हुई जिसमें आतंकवाद और जम्मू-कश्मीर समेत अन्य द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा हुई। दोनों एनआईए की मुलाकात के बाद भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पाकिस्तान के दौर पर गईं।
दिसंबर, 2015 में नरेंद्र मोदी ने बगैर किसी घोषित कार्यक्रम के अफगानिस्तान से भारत लौटते हुए नवाज शरीफ के जन्मदिन पर लाहौर जाकर सबको चौंका दिया था। मोदी शरीफ की पोती की शादी में भी शामिल हुए थे।
जनवरी, 2016 में भारतीय वायु सेना के पठानकोट बेस पर पाकिस्तानी आंतकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने हमला कर दिया। हमले में सात भारतीय जवान मारे गए। जवाबी कार्रवाई में छह आतंकी भी मारे गए। हमले के बाद पाकिस्तान से एक संयुक्त जांच दल (जेआईटी) जांच के लिए भारत आया। उसके कुछ दिन बाद पाकिस्तानी अखबारों में जेआईटी का बयान छपा कि “पठानकोट हमला पाकिस्तान को बदनाम करने के लिए किया गया भारत का नाटक था।”
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15 अगस्त 2016 को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में ‘बलूचिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर की आजादी’ के बारे में बोले। इस तरह आजादी के बाद पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने लाल किले से बलूचिस्तान का मुद्दा उठाया। कई बलूच अलगाववादी नेताओं ने भारतीय पीएम के बयान का स्वागत किया। पाकिस्तान ने इसपर तीखी प्रतिक्रिया करते हुए इसे अपने अंतरूनी मामले में हस्तक्षेप बताया।
18 सितंबर को उरी आतंकी हमले के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमले के दोषी बख्शे नहीं जाएंगे। 25 सितंबर को उरी हमले के बाद अपनी पहली सार्वजनिक रैली में पीएम मोदी ने पाकिस्तान पर तीखा हमला करते हुए कि भारत उरी हमले को कभी नहीं भूलेगा। पीएम मोदी ने कहा कि भारत पाकिस्तान को कूटनीतिक स्तर पर अलग थलग करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगा और आतंक के निर्यात, निर्दोषों की हत्या और खूनखराबे जैसी उसकी गतिविधियों का पर्दाफाश करेगा। मोदी ने कहा कि पड़ोसी देश के नेता आतंकवादियों की इबारत को पढ़ते हैं और कश्मीर का राग अलापते रहते हैं। वहीं पाकिस्तानी पीएम शरीफ ने कहा कि हर आतंकी हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराना भारत की आदत है। नवाज शरीफ संयुक्त राष्ट्र आम सभा में अपने संबोधन में कश्मीरी आतंकी बुरहान वानी को ‘युवा नेता” बताकर भी भारत की आलोचना के शिकार बने।