2016 में पश्चिम बंगाल चुनाव की तैयारियों में जुटा था तभी एक नाम सामने आया जिसने सूबे में हलचल मचा दी। ये नाम था मैथ्यू सैमुअल का। नारदा न्यूज के फाउंडर ने 52 घंटे की फुटेज में बंगाल के नेताओं की कलई खोलकर रख दी थी। फुटेज में बंगाल की राजनीति के तमाम ऐसे नाम थे जो कैमरे पर रिश्वत लेते दिखे। उस दौरान इसे लेकर अदालतों के गलियारों से सत्ता के शीर्ष पायदान तक हलचल दिखी। लेकिन चुनाव में टीएमसी जीती तो मुद्दा दफन ही हो गया।
हाल में हुए चुनावों में भी नारदा स्टिंग का कोई जिक्र नहीं हुआ तो लगा मानो मुद्दा दफन ही हो गया, लेकिन सीबीआई ने 17 मई को जैसे ही तृणमूल के कई नेताओं को इस मामले में गिरफ्तार किया। उससे ये फिर चर्चाओं में आ गया। नारदा घोटाले सीबीआई ने सोमवार को ममता बनर्जी की सरकार में कैबिनेट मंत्री फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा और पूर्व मेयर शोभन चटर्जी को गिरफ्तार कर लिया। अपने नेताओं को अरेस्ट करने से बिफरी सीएम ममता कोलकाता के सीबीआई आफिस पहुंच गईं।
सबसे बड़ा सवाल इस समय यह है कि मामला कहां तक जाएगा। केंद्र की मोदी सरकार से ममता का आंकड़ा 36 का है। इसी वजह से गवर्नर जगदीप धनखड़ ने टीएमसी नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज करने की परमीशन दी। लेकिन सीबीआई का रुख अब उन नेताओं के लिए क्या होगा, जो पहले तृणमूल में थे लेकिन अब बीजेपी में हैं।
स्टिंग में जिन बड़े नेताओं के नाम शामिल हैं उनमें मुकुल रॉय, सौगत रॉय, काकोली घोष, प्रसून बनर्जी, सुवेंदु अधिकारी, अपारुप पोद्दार, सुल्तान अहमद (2017 में दिवंगत), मंत्री मदन मित्रा, सुब्रत मुखर्जी, फिरहाद हाकिम, इकबाल अहमद शामिल हैं। आईपीएस एचएसएस मिर्जा (सस्पेंड) भी सैमुअल से कैमरे पर पैसे लेते दिखे।
हालांकि, बीजेपी के मौजूदा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय कैमरे पर पैसे लेते नहीं दिखे पर वो कैमरे पर सैमुअल से कह रहे हैं कि वो कैश के साथ पार्टी दफ्तर पर आकर मिलें। उनके अलावा सुवेंदु, सोवन चटर्जी और एस देब पांडा भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। सुवेंदु नेता प्रतिपक्ष का जिम्मा संभाल रहे हैं। सैमुअल ने दावा किया था कि सारे ऑपरेशन को टीएमसी के राज्यसभा सांसद केडी सिंह ने फाइनेंस किया। उनका तहलका में बड़ा हिस्सा है। सैमुअल के मुताबिक-पहले ऑपरेशन का बजट 25 लाख था जो बाद में 80 लाख रुपये हो गया।
स्टिंग्स सामने आने के बाद राज्य में खूब बवाल मचा। मामला हाई कोर्ट पहुंचा। इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई। ममता इसे राजनीतिक साजिश बता रही हैं। उनका आरोप है कि इसे बीजेपी ने जारी किया। ममता सरकार ने वीडियो को फर्ज़ी और पूरे मामले को साजिश करार देते हुए मैथ्यू के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कराई थी, लेकिन कोलकाता हाईकोर्ट ने मैथ्यू को राहत दे दी।
फोरेंसिक जांच में वीडियो को सही पाया गया था। टीएमसी ने बहुत कोशिश की कि ये मामला सीबीआई तक ना पहुंचे। अलबत्ता कोर्ट दबाव में नहीं आई और सीबीआई जांच को हरी झंडी मिल गई। बीजेपी ने इसे पिछले चुनावों में बड़ा मुद्दा बनाया था। लेकिन इसका कोई असर चुनावों में नहीं पड़ा। लेकिन नए परिवेश में ये देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी की सीबीआई मामले को कैसे लेती है। उन नेताओं पर क्या एक्शन होता है जो फिलहाल बीजेपी में शामिल हैं?