नारदा मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आज कहा कि सीबीआई कोर्ट प्रेशर में थी। कोलकाता हाईकोर्ट उनकी अपील से तैश में आता दिखा। जस्टिस सोमेन सेन ने मेहता से उलटा सवाल किया कि क्या सीबीआई ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करते समय केस डायरी जमा कराई थी। मेहता की चुप्पी पर कोर्ट ने कहा कि स्पेशल कोर्ट में सीबीआई अफसर खुद सारे दस्तावेज लेकर गए थे। लेकिन शायद केस डायरी ले जाना भूल गए।

मेहता ने आज रोज की लीक से हटकर दलील दी कि स्पेशल कोर्ट 17 मई को प्रेशऱ में थी, क्योंकि इस दिन ममता अपने काफिले के साथ सीबीआई दफ्तर पर डटी थीं तो उनके कानून मंत्री कोर्ट परिसर में। इससे स्पेशल जज दबाव में आ गए और आरोपियों को जमानत मिल गई। ध्यान देने वाली बात है कि आज से पहले मेहता दलील दे रहे थे कि लोग मान रहे हैं कि इस फैसले से अदालतों की तौहीन हुई। लोग मान रहे हैं कि जज दबाव में आ गए थे। इससे पहले उन्होंने सीधे तौर पर ये कभी नहीं कहा कि सीबीआई कोर्ट प्रेशर में थी। वो कहते रहे हैं कि जज के फैसले पर वो सवाल नहीं कर रहे पर इससे लोगों के बीच गलत नजीर बनी।

पांच जजों की बेंच से वर्चुअल सुनवाई में कई बार नाखुश दिखी। मेहता ने आज फिर से कहा कि टीएमसी नेताओं की अरेस्ट के मामले में विस्तार से जिरह करने की जरूरत है। इस फैसले से लोगों के बीच अच्छा संदेश नहीं गया। लोगों को लग रहा है कि न्याय ठीक से नहीं हुआ। कोर्ट ने उनसे उलटा सवाल किया कि क्या आप ये बोल रहे हैं कि बाहर जो कुछ होता है उससे कोर्ट के फैसले बदल जाते हैं। कोर्ट ने कहा- मान लीजिए मीडिया ट्रायल में आरोपी को दोषी करार दे दिया जाता है और कोर्ट उन्हें बरी कर देती है। तो भी क्या आप ये कहेंगे।

कोर्ट का सवाल था कि क्या जनता की राय अन्य कानूनी पहलुओं से ज्यादा जरूरी है। मेरिट पर स्पेशल कोर्ट के फैसला अभी तक कायम है। किसी ने भी इस आदेश को चुनौती नहीं दी है। मेहता ने कहा कि वो ऐसा नहीं कह रहे हैं, लेकिन इस मीडिया में दिखाई इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि ममता और उनके ला मिनिस्टर सड़कों पर थे। कोर्ट ने उनसे पूछा कि मान लीजिए आरोपियों की जमानत ऐसे माहौल में रद हो जाती तो तब भी आप स्पेशल जज को फैसले के दोबारा ट्रायल की मांग करते। कोर्ट का कहना था कि आपका ये तर् गले नहीं उतर रहा कि लोग कह रहे हैं इसलिए कोर्ट एक्शन ले।

गौरतलब है कि मेहता कोर्ट से लगातार कह रहे हैं कि इस मामले में हाईकोर्ट शुरू से विचार करे। लेकिन उनके तमाम विरोध के बावजूद भी आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया। 17 मई को सीबीईआई कोर्ट ने टीएमसी के मंत्री समेत चार नेताओं को जमानत पर रिहा कर दिया था। वो सारे हाउस अरेस्ट में थे। हालांकि टीएमसी के वकील जब हाईकोर्ट से बेल पटीशन पर सुनवाई करने की अपील कर रहे थे तब मेहता की दलील थी कि बेल पर सुनवाई की कोई खास जरूरत नहीं है। पहले कोर्ट ममता के सड़क पर उतरने के असर पर विचार करे।

मेहता को कोर्ट की नसीहत

हाईकोर्ट में लंच के बाद उस समय कोर्ट भी तल्खी देखने को मिली जब मेहता ने बचाव पक्ष पर आरोप लगाया कि वो उन्हें एंटी बंगाली कह रहे हैं। दरअसल, लंच के दौरान वकीलों की आपस की बातचीत में एक वकील ने कहा कि मेहता अक्सर एंटी बंगाली रवैया दिखाते हैं। मेहता की शिकायत पर कोर्ट ने कहा यहां राजनीतिक बातें मत करें। कोर्ट को किसी प्लेटफार्म की तरह यूज मत करें। कोर्ट की फटकार के बाद मेहता ने चुप्पी साध ली। मामले में कल फिर से सुनवाई की जाएगी।