दुनियाभर में कोरोना वायरस की वैक्सीन विकसित करने की कोशिश चल रही है। विभिन्न चरणों में चल रहे कोरोना वैक्सीन के ट्रायल्स को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि अगले साल के मध्य तक वैक्सीन उपलब्ध हो सकती है। भारत सरकार ने भी लोगों को वैक्सीन उपलब्ध कराने की तैयारी शुरू कर दी है। आईटी दिग्गज और इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलकेणी ने आधार मॉडल पर आधारित एक डिजिटल प्लेटफॉर्म का प्रस्ताव दिया है, जिसकी मदद से देश के 130 करोड़ लोगों को वैक्सीन की डोज दी जाएगी।

द इंडियन एक्सप्रेस के एग्जीक्यूटिव ए़डिटर (राष्ट्रीय मामले) पी.वैद्यनाथ अय्यर के साथ बातचीत में नंदन नीलकेणी ने देश में कोरोना टीकाकरण की चुनौती के बारे में बताया। नीलकेणी ने बताया कि “मुझे लगता है कि टीकाकरण एक बड़ा मिशन होगा। हमने आधार पंजीकरण सिस्टम विकसित किया था और इसे एक दिन में 15 लाख लोगों के पंजीकरण के लिए डिजाइन किया गया था। इसके बावजूद हमें एक करोड़ जनता तक पहुंचने में साढ़े पांच साल का वक्त लगा। यहां हमें पूरी आबादी का दो साल में टीकाकरण करना है।”

नंदन नीलकेणी ने बताया कि “चूंकि टीकाकरण की दो डोज होंगी तो हमें इस तरह 260 करोड़ टीकाकरण करने होंगे। तय समयसीमा की बात करें तो एक साल में 130 करोड़ लोगों का टीकाकरण करना होगा। इस लक्ष्य को पाने के लिए हमें हर माह 10 करोड़ से ज्यादा और एक दिन में 30 लाख से ज्यादा लोगों का टीकाकरण करना होगा। ऐसे में यह बेहद चुनौतीपूर्ण और हमारे इतिहास में अभूतपूर्व होगा। ”

नीलकेणी ने अनुसार, “यही वजह है कि इसकी योजना और इंफ्रास्ट्रक्चर बेहद अहम होगा।” नीलकेणी की सलाह है कि “यह काम एक कॉमन डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए होना चाहिए, जिससे देश के हर इंसान का एक जैसा टीकाकरण होना चाहिए और उसकी जानकारी भी हमारे पास होनी चाहिए। यह मुख्यतः आधार के जैसा होगा लेकिन उससे ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगा।”

नंदन नीलकेणी ने चेताते हुए कहा कि, भारत का बच्चों और गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण का जबरदस्त रिकॉर्ड है। हमने पोलियो के मामले में भी अच्छा काम किया है लेकिन हमें व्यस्क टीकाकरण का कोई अनुभव नहीं है। कोरोना टीकाकरण में हमें इसी की जरूरत होगी। नीलकेणी ने अमेरिका का उदाहरण दिया और बताया कि वह हर साल लोग फ्लू का टीकाकरण कराते हैं।

इसलिए अमेरिका में इसका सिस्टम मौजूद है लेकिन हमारे लिए चुनौती ये है कि हमारे यहां ऐसा कोई सिस्टम नहीं है और ना ही इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है। हमें जीरो से शुरुआत करनी होगी। नीलकेणी का ये भी कहना है कि हमें कोरोना टीकाकरण के लिए नया इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की जरूरत है क्योंकि मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर पर उससे काफी बोझ पड़ेगा।

नीलकेणी ने सुझाव दिया कि टीकाकरण के लिए 2 लाख नए लोगों को ट्रेनिंग दी जाए और नया इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जाए।