Namaz Break in Assam: असम विधानसभा में जुमे की नमाज के लिए मिलने वाले 2 घंटे के ब्रेक को लेकर बड़ा हुआ है। विधानसभा अध्यक्ष ने इस 2 घंटे के ब्रेक टाइम को रद्द करने का फैसला लिया है। राज्य के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा की सरकार का कहना है कि इस फैसले के बाद विधानसभा की प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी और शुक्रवार के दिन भी विधानसभा में आम दिनों की तरह ही काम कर सकेंगे। इसको लेकर विपक्षी दलों ने राज्य सरकार को निशाने पर लिया है। सीपीएम नेता हुन्नान मोल्लाह ने तो इसे घिनौना फैसला करार दिया है।
सीपीएम नेता हुन्नान मोल्लाह ने विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले को लेकर कहा है कि यह बेहद ही घिनौना फैसला है। उसके दिमाग में सांप्रदायिकता का जहर है। सीपीएम नेता ने कहा है कि हिंदुस्तान में सबसे बड़े अल्पसंख्यक विरोधी नेता हिमंत बिस्वा सरमा है। उन्होंने कहा कि असम के सीएम जब भी बोलते हैं, तब वे अल्पसंख्यकों के खिलाफ जहर ही उगलते हैं।
अल्पसंख्यकों को खत्म करने की साजिश
असम विधानसभा में नमाज ब्रेक को लेकर हुए फैसले को लेकर सीपीएम नेता ने कहा है कि यह देश विरोधी मानसिकता है और यह देश की एकता के लिए बड़ा खतरा है। उन्होंनें कहा कि यह सोच संविधान विरोधी है और अल्पसंख्यकों को खत्म करने की प्लानिंग के तहत इस तरह के फैसले लिए जा रहे हैं।
सीएम हिमंत बोले – बढ़ेगी विधानसभा प्रोडक्टिविटी
गौरतलब है कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा है कि 2 घंटे के जुमा ब्रेक को खत्म करके असम विधानसभा ने प्रोडक्टिविटी को प्राथमिकता दी है। सीएम ने कहा कि विधानसभा ने औपनिवेशिक बोझ की एक सोच और निशान को हटा दिया है। उन्होंने कहा कि इस प्रथा की शुरुआत मुस्लिम लीग के सैय्यद सादुल्ला ने साल 1937 में की थी।
जानकारी के मुताबिक अब शुक्रवार के दिन विधायकों को नमाज के लिए ब्रेक नहीं मिलेगा। यह व्यवस्था विधानसभा के अगले सत्र से लागू हो जाएगी। पीटीआई के अनुसार, आखिरी बार असम विधानसभा के Autumn Sessionc में जुमे की नमाज के लिए ब्रेक दिया था।