कोर्ट की अवमानना के दोषी ठहराए गए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं जाहिर की जा रही हैं। अब हैदराबाद स्थित NALSAR यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के वाइस चांसलर डॉ. फैजान मुस्तफा ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। डॉ. फैजान मुस्तफा ने कहा है कि ‘यह फैसला भारतीय न्यायशास्त्र के मुताबिक है लेकिन यह फैसला दुनिया में कहीं भी मौजूदा और प्रबुद्ध न्यायशास्त्र के मुताबिक नहीं है।’
फैजान मुस्तफा ने अपनी बात के समर्थन में अमेरिका के ‘ब्रिजेज वर्सेस स्टेट ऑफ कैलिफोर्निया (1941)’ मामले में प्रसिद्ध जज ह्युगो ब्लैक के एक कथन का जिक्र करते हुए कहा कि ‘न्यायपालिका कभी भी जजों को सुरक्षा प्रदान करके इज्जत नहीं पा सकती और कोर्ट की अवमानना का मामला लगाकर शांति थोपने से भी जजों की इज्जत नहीं बढ़ेगी।’ बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट की अवमानना के मामले में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को दोषी करार दिया है। कोर्ट 20 अगस्त को प्रशांत भूषण की सजा पर बहस करेगा।
कानून के मुताबिक कोर्ट की अवमानना के मामले में दोषी को 6 माह जेल की सजा या 2 हजार रुपए जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं। ‘पब्लिक यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज’ ने भी एक बयान जारी कर कहा है कि वह इस फैसले से काफी निराश हैं।
पब्लिक यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) ने अपने एक बयान में कहा है कि ‘पीयूसीएल को लगता है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ना सिर्फ दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि यह उस आशंका को और ज्यादा मजबूत करेगा, जिसमें लोकतांत्रिक संस्थाओं से असंतुष्टों का अपराधीकरण कर दिया जा रहा है। इससे यह भी साफ हो गया है कि सुप्रीम कोर्ट भी न्याय व्यवस्था के कामकाज पर ध्यान नहीं देना चाहता है।’
बयान में कहा गया है कि ‘लोग सुप्रीम कोर्ट की तरफ देख रहे हैं लेकिन ऐसा कई बार देखा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार का समर्थन किया है और संविधान और लोकतांत्रिक चिंताओं का उसे कोई ध्यान नहीं है।’
कई अन्य वरिष्ठ वकीलों ने भी प्रशांत भूषण मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है और इस फैसले की आलोचना की है। वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि ‘यह फैसला अधिकांश पाठकों को सोचने पर मजबूर करेगा कि क्या इस मामले से लोगों की नजर में कोर्ट की कोई अथॉरिटी स्थापित होती है।’ उन्होंने कहा कि ‘इससे वकीलों का मनोबल टूटेगा और एक मजबूत अदालत का निर्माण नहीं हो सकेगा।’ संजय हेगड़े ने कहा कि ‘गूंगे बार से मजबूत अदालत का निर्माण नहीं हो सकता है।’
