कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच मरीज और परिजन रेमडेसिविर जैसी दवाइयों के लिए इधर-उधर भटकते और मदद की गुहार लगाते दिख रहे हैं। रेमडेसिविर की किल्लत साफ दिख रही है। कालाबाजारी तक हो रही है। इन सबके बीच बिहार के नालंदा मेडिकल कॉलेज पटना ने एक पत्र जारी करके कहा है कि कोविड के इलाज में इस दवा की उपयोगिता नहीं है। who ने भी इसे नकार दिया है। खास बात है कि बाजार में ये दवा नहीं मिल रही है।
अस्पताल के अधीक्षक की तरफ से निर्देश जारी किया गया है कि कोई भी चिकित्सक रेमडेसिविर प्रिसक्राइब न करे। इससे मरीजों में अनावश्यक panic की स्थिति उत्पन्न हो रही है। गौरतलब है कि यह पत्र उन चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विनोद कुमार सिंह की तरफ से लिखा गया है जो चार दिन पहले तक खुद को एनएमसीएच के प्रभार से मुक्त करने की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि एनएमसीएच अस्पताल में ऑक्सीजन की लगातार कमी होने के कारण मरीजों की जान जाने की नौबत आ गई है। ऐसे में वो मरीजों को मरता नहीं देख सकते। लिहाजा सरकार उन्हें उनकी ड्यूटी से मुक्त करे।

हालांकि, रेमडेसिविर की किल्लत के बीच अचानक चिकित्सक इसके प्रभावों को लेकर मुखर होने लगे हैं। एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने भी कहा है कि यह कोई जादू की छड़ी नहीं है। एसिम्प्टोमैटिक और माइल्ड इन्फेक्शन वालों को यह देने से कोई फायदा या सुधार नहीं होगा। इसके अलावा टाइमिंग बहुत अहम है। बहुत पहले या देरी से दवाएं दी गईं तो यह नुकसान करेगा।
रणदीप गुलेरिया ने कहा कियह कोई ऐसी दवा नहीं है जो मौत को कम करती है। हम इसे इसलिए इस्तेमाल कर सकते हैं कि हमारे पास ऐंटी-वायरल ड्रग नहीं है। अगर यह बिना किसी लक्षण वाले व्यक्ति या हल्के लक्षण वाले मरीज को काफी पहले दे दी जाए तो कोई काम नहीं करेगी। अगर देरी से दी जाए तब भी यह किसी काम की नहीं है।’ गुलेरिया ने कहा, ‘रेमडेसिविर सिर्फ उन्हीं मरीजों को दी जानी चाहिए जो अस्पताल में भर्ती हैं। जिनका ऑक्सीजन लेवल एकदम निचले स्तर पर पहुंच गया है और जिनमें संक्रमण का पता चलता हो।
उधर, कोरोना की जांच को लेकर भी नए नियम गढ़े जा रहे हैं। निजी लैब ये टेस्ट करने से इनकार कर रही हैं। वो केवल अपने जिले के लोगों को सीएमओ की चिट्ठी पर टेस्ट करने की बात कह रही हैं।
उनका यह भी कहना है कि पहले से जो सैंपल लिए गए हैं, उनकी रिपोर्ट देने में उन्हें मुश्किल पेश आ रही है। फिलहाल टेस्ट के लिए आने वाले लोगों को उलटे पैर लौटाया जा रहा है।

