Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कर्नाटक के कांग्रेस विधायक विनय कुलकर्णी की सरेंडर करने की समय सीमा बढ़ाने से इनकार कर दिया। पिछले सप्ताह शीर्ष अदालत ने गवाहों से छेड़छाड़ के आरोपों पर कुलकर्णी की जमानत रद्द कर दी थी और उन्हें एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा था। कुलकर्णी पर भाजपा कार्यकर्ता की हत्या का आरोप है।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस मनमोहन की पीठ के समक्ष कांग्रेस विधायक के वकील ने आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने की मांग की। उन्होंने कहा, ‘मिलॉर्ड! मैं सरेंडर करने की अवधि बढ़ाने की मांग कर रहा हूं। क्योंकि मैं एक मौजूदा विधायक और कर्नाटक जल आपूर्ति बोर्ड का अध्यक्ष हूं। मुझे इस सप्ताह होने वाली बैठक में भाग लेना है।’
हालांकि, शीर्ष अदालत ने अनुरोध पर विचार करने से इनकार कर दिया। 6 जून को जस्टिस संजय करोल और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने विधायक कुलकर्णी की जमानत रद्द कर दी थी, क्योंकि पीठ ने पाया कि ट्रायल कोर्ट द्वारा लगाई गई जमानत शर्तों का उल्लंघन हुआ है। इसने कहा कि रिकॉर्ड में पर्याप्त सामग्री है जो यह सुझाव देती है कि प्रतिवादी द्वारा गवाहों से संपर्क करने या ऐसे गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास किया गया है।
पारित आदेशों के अनुसार, कुलकर्णी को आदेश की तिथि से एक सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट/जेल प्राधिकरण के समक्ष आत्मसमर्पण करना था, और ट्रायल कोर्ट, अदालत की टिप्पणियों से अप्रभावित होकर, मुकदमे को शीघ्रता से पूरा करने का प्रयास करेगा।
हेब्बल्ली निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के जिला पंचायत सदस्य योगेश गौड़ा की 15 जून 2016 को धारवाड़ के सप्तपुर स्थित उनके जिम में एक सशस्त्र गिरोह ने हत्या कर दी थी। उनकी हत्या के बाद धारवाड़ पुलिस ने छह लोगों को गिरफ्तार किया और उनके खिलाफ हत्या का आरोप पत्र दायर किया।
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भाजपा नेताओं के समर्थन से योगेश गौड़ा गौदार के भाई गुरुनाथ गौदार ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी, जो राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद अंततः पूरी हुई।
सीबीआई ने 24 सितंबर, 2019 को जांच अपने हाथ में ली, आठ अन्य आरोपियों की पहचान की और उन्हें गिरफ्तार किया और 20 मई, 2020 को आरोप पत्र दायर किया।
5 नवंबर, 2020 को गिरफ्तार किया गया। कुलकर्णी की जमानत याचिका दो बार खारिज हो चुकी है। पहले निचली अदालत द्वारा और फिर हाई कोर्ट द्वारा। सीबीआई ने फरवरी, 2021 में सीबीआई विशेष अदालत में एक पूरक आरोप पत्र भी दायर किया था। वहीं, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य अंतर-धार्मिक जोड़े के एक साथ रहने पर आपत्ति नहीं कर सकता। पढ़ें…पूरी खबर।