महाराष्ट्र के मालेगांव में एक शहीद स्मारक है, जिसे उन शहीद स्वतंत्रता सेनानियों की याद में बनवाया गया था, जिन्हें 97 साल पहले ब्रिटिश राज में फांसी दे दी गई थी। सोमवार को उसी स्थल पर बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग इकट्ठा हुए। दरअसल मुस्लिम समाज के करीब 1 लाख लोगों ने मालेगांव के प्रसिद्ध शहीद स्थल पर इकट्ठा होकर मॉब लिंचिंग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और सरकार से मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाने की अपील की। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि झारखंड में हुई तबरेज अंसारी की मॉब लिंचिंग की घटना फाइनल ट्रिगर है।
इस विरोध प्रदर्शन की अगुवाई जमीयत उलेमा के मौलवियों ने की। प्रदर्शनकारियों ने शांतिपूर्ण मार्च निकाला और सरकार से इस मसले पर एक हफ्ते में कोई कदम उठाने की मांग की है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ‘हम बदला नहीं चाहते और ना ही हिंसा में विश्वास करते हैं। हमें कानून के राज में विश्वास है।’
वहीं मॉब लिंचिंग के खिलाफ उत्तर प्रदेश के आगरा में भी मुस्लिम समुदाय के लोग सड़कों पर उतरे। हालांकि उस वक्त प्रदर्शन उग्र हो गया, जब दो समुदायों के लोग आमने-सामने आ गए। इसके चलते पथराव शुरु हो गया। सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने लाठीचार्ज कर लोगों को तितर-बितर कर स्थिति को नियंत्रित किया। इस बवाल के चलते शहर में दिनभर बाजार बंद रहे। तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि मेरठ में भी मॉब लिंचिंग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ। इस दौरान भी हिंसा की घटना घटी। खबर के अनुसार, यह विरोध प्रदर्शन प्रशासन की अनुमति के बिना आयोजित किया गया, जब पुलिस प्रशासन ने इसे रोकने की कोशिश की। बाद में बातचीत के बाद एक समुदाय के लोगों ने मिश्रित आबादी वाले इलाके में दुकाने बंद कराने की कोशिश की, जिससे तनातनी का माहौल बन गया। कुछ ही देर में पथराव शुरु हो गया। फिलहाल मेरठ में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
बता दें कि बीते दिनों झारखंड में तबरेज अंसारी नामक युवक की चोरी के शक में भीड़ ने बुरी तरह से पिटाई कर दी थी। जिसकी बाद में अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। इस घटना का वीडियो भी सामने आया था। इस घटना के विरोध में ही देश के कई हिस्सों में मुस्लिम समुदाय के लोग सड़कों पर उतरे हैं।
