देश के संगीत जगत की महानतम हस्तियों में शुमार और आठ दशकों तक अपनी सुरीली आवाज से देश-दुनिया में अपने असंख्य प्रशंसकों को मंत्रमुग्ध करने वालीं महान गायिका लता मंगेशकर का रविवार को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हुआ। वे 92 वर्ष की थीं। पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। लता के भाई हृदयनाथ मंगेशकर ने नम आंखों से उन्हें मुखाग्नि दी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शाम को दादर इलाके के शिवाजी पार्क में लता को श्रद्धांजलि देने वाली राजनीति और मनोरंजन उद्योग से जुड़ी हस्तियों में शामिल थे। लता को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए उनके हजारों प्रशंसक अस्पताल के बाहर एकत्र हुए और गलियों में पंक्तिबद्ध खड़े रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुर-साम्राज्ञी को पुष्पांजलि अर्पित की और पार्थिव शरीर को नमन किया। उन्होंने मंगेशकर परिवार के सदस्यों से भी मुलाकात की और उन्हें सांत्वना दी। वे अंतिम संस्कार से पहले कार्यक्रम स्थल से चले गए।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से भी शिवाजी पार्क में स्वर-कोकिला को पुष्पांजलि अर्पित की गई। कई अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने लता मंगेशकर को भावभीनी श्रद्धाजंलि दी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार, अभिनेता शाहरुख खान और आमिर खान, क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे समेत कई लोग इस मौके पर मौजूद थे।

इससे पहले राष्ट्रीय ध्वज में लिपटे लता मंगेशकर के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए दक्षिण मुंबई में उनके आवास से शिवाजी पार्क ले जाया गया। अंतिम संस्कार से ठीक पहले, राष्ट्रीय ध्वज को परिवार के सदस्यों को सौंप दिया गया। सुर साम्राज्ञी की अंतिम यात्रा निकली तो बड़ी संख्या में लोग उनके अंतिम दर्शन करने के लिए सड़कों पर उमड़ पड़े।

दिन में लता की बहन उषा मंगेशकर ने बताया कि लता के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। गायिका कोरोना विषाणु से संक्रमित पाई गई थीं और उन्हें बीमारी के मामूली लक्षण थे। उन्हें आठ जनवरी को ब्रीच कैंडी अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (आइसीयू) में भर्ती कराया गया था। वे दो सप्ताह से अधिक समय तक आइसीयू में रहीं। इसके बाद उनकी स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ था और 28 जनवरी को जीवनरक्षक प्रणाली हटा दी गई थीं, लेकिन पांच फरवरी से उनका स्वास्थ्य फिर से बिगड़ने लगा, जिसके बाद उन्हें फिर से जीवनरक्षक प्रणाली पर रखा गया।

उषा मंगेशकर ने कहा, ‘वे अब हमारे बीच नहीं रहीं। उनका सुबह निधन हो गया।’ शहर के ब्रीच कैंडी अस्पताल में लता मंगेशकर का उपचार करने वाले डाक्टर प्रतीत समदानी ने संवाददाताओं से कहा, ‘कोरोना विषाणु से संक्रमित पाए जाने के 28 दिन बाद लता दी का सुबह आठ बजकर 12 मिनट पर निधन हो गया। उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था।’लता के पार्थिव शरीर को ब्रीच कैंडी अस्पताल से दोपहर साढ़े बारह बजे दक्षिण मुंबई के पेडर रोड स्थित उनके प्रभु कुंज आवास ले जाया गया। इसके बाद शिवाजी पार्क लाया गया।

बड़े संगीतकारों और अभिनेताओं समेत कई लोग कहते थे कि मंगेशकर के पास ‘मां सरस्वती’ की आवाज है और यह संयोग है कि सरस्वती पूजा के एक दिन बाद उनका निधन हुआ। मंगेशकर ने लोगों से मिले प्रेम को संजो कर रखा, लेकिन हमेशा विनम्र बनी रहीं।उन्होंने पिछले साल अक्तूबर में एक साक्षात्कार में कहा था, ‘यह लंबी यात्रा मेरे साथ है और वह छोटी बच्ची अब भी मेरे अंदर है।

वह कहीं गई नहीं है। कुछ लोग मुझे ‘सरस्वती’ कहते हैं या वे कहते हैं कि मुझ पर उनकी कृपा है।’ उन्होंने कहा, ‘यह उनका आशीर्वाद है कि मेरे गाए गीत लोगों को पसंद आते हैं, अन्यथा मैं कौन हूं? मैं कुछ नहीं हूं। मुझसे भी बेहतर कई गायक हुए हैं और उनमें से कुछ हमारे बीच नहीं है। मेरे पास आज जो कुछ भी है, उसके लिए मैं ईश्वर और अपने माता-पिता की आभारी हूं।’ यह संभवत: उनका अंतिम साक्षात्कार था। लता मंगेशकर को पद्म भूषण, पद्म विभूषण, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार और कई बार भारतीय फिल्म पुरस्कारों से नवाजा गया। उन्हें 2001 में भारत का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया गया था।

दो दिन के राजकीय शोक की घोषणा

गायिका लता मंगेशकर के निधन पर राष्ट्रीय स्तर पर दो दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा राज्यों के मुख्य सचिवों को भेजे गए एक संदेश में कहा गया है कि पूरे देश में छह फरवरी से सात फरवरी तक राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा।अधिकारियों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि दिवंगत हस्ती के सम्मान में छह फरवरी से सात फरवरी तक दो दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है और इस अवधि में कोई आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा।

सम्मान में संसद की कार्यवाही एक घंटे स्थगित रहेगी

संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद सोमवार को राज्यसभा और लोकसभा एक घंटे के लिए स्थगित रहेगी। सूत्रों ने यह जानकारी दी।अधिकारियों ने कहा कि यह निर्णय किया गया है कि सुबह 10 बजे राज्यसभा में सभापति एम वेंकैया नायडू द्वारा शोक संदेश पढ़ने के बाद सदन एक घटे के लिए स्थगित रहेगा। सूत्रों ने बताया कि लोकसभा में भी शाम चार बजे सदन की बैठक शुरू होने के तुरंत बाद अध्यक्ष ओम बिरला शोक संदेश पढ़ेंगे और कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित की जाएगी।

नम आंखों से प्रशंसकों ने दी विदाई

लता मंगेशकर को दक्षिण मुंबई में उनके आवास से शिवाजी पार्क के लिए अंतिम विदाई के समय सुर साम्राज्ञी की आखिरी झलक पाने के लिए बेताब प्रशंसकों की भीड़ घंटों इंतजार करती दिखी। इस दौरान लोगों ने सुर कोकिला के गीतों को गाकर, नारे लगाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। सैकड़ों की तादाद में प्रशंसक, युवा और बुजुर्ग महान कलाकार को अंतिम सम्मान देने के लिए मंगेशकर के निवास प्रभु कुंज में उमड़े।

यातायात और मुंबई पुलिस के कर्मियों की बड़ी संख्या में तैनाती की गई थी ताकि यह सुनिश्चत किया जा सके कि उनके आवास के पास व्यस्त पेडर रोड अवरुद्ध नहीं हो। गायिका को नम आंखों से विदाई देने के लिए मुंबई में दोपहर से ही सड़कों के किनारे प्रशंसक एकत्र होना शुरू हो गए थे। उनके आवास के सामने की गली ‘जब तक सूरज चंद रहेगा, लता दीदी का नाम रहेगा’ और ‘लता दीदी अमर रहे’ के नारों से गूंज उठी। सविता शाह (60) ने कहा, ‘आज सुबह जब मैं उठी तो मुझे बुरे खयाल आने लगे। मैंने तुरंत उनके ठीक होने के लिए प्रार्थना करनी शुरू कर दी। मैं उनके निधन की खबर सुनकर टूट गई। (लता) दीदी ने मेरे जीवन को ही नहीं करोड़ों लोगों के जीवन को आकार दिया है।’ शाह सुबह-सुबह मंगेशकर के आवास के बाहर गुलदाउदी का गुलदस्ता लेकर उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचीं।

उन्होंने कहा, ‘मैं सिर्फ उनके पैर छूना चाहती थी। अगर यह संभव नहीं हुआ, तो मैं इन फूलों को उनके भवन के प्रवेश द्वार पर रख दूंगी। उन्हें यह गुलदस्ता भेंट करना चाहती हूं।’ शाह अकेली नहीं थीं, क्योंकि शहर के विभिन्न हिस्सों से मंगेशकर के कई प्रशंसक घंटों सड़क पर खड़े रहे, कुछ तो अपार्टमेंट के करीब जाने से मना करने पर पुलिसकर्मियों से भी भिड़ भी गए।

पुलिस ने वहां बड़ी संख्या में मौजूद मीडियाकर्मियों के लिए एक विशेष अवरोधक लगाया गया था, लेकिन प्रशंसक उनकी ‘बेहतर झलक’ पाने के लिए लिए मीडिया क्षेत्र में प्रवेश कर रहे थे। कुछ लोग पेड़ों पर चढ़ गए, जबकि कुछ लोग बृहन्मुंबई महानगरपालिक (बीएमसी) द्वारा उनके निवास के सामने की दीवार पर लगाए गए विशाल कूड़ेदान पर चढ़ गए। आस-पास की इमारतों की हर बालकनी या खिड़की से प्रशंसक झांक रहे थे।

मंगेशकर के पार्थिव शरीर को उनके आवास से शिवाजी पार्क श्मशान में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार के लिए ले जाते समय सैन्य अधिकारी उनके आवास के बाहर खड़े थे। ताबूत को राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा गया और ट्रक पर रखा गया। मंगेशकर के भाई-बहन मीना, आशा, उषा और हृदयनाथ अन्य रिश्तेदारों के साथ खुले ट्रक में सवार हो गए। जैसे ही वाहन आगे बढ़ा, लोगों ने ‘लता दीदी अमर रहे’ के नारे लगाए और उन पर पुष्प वर्षा की।