एक व्यक्ति को अपनी पत्नी की हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। पत्नी से झगड़े के बाद पति ने अपनी पत्नी पर जेल में उससे मिलने न आने का आरोप लगाया था। जेल से रिहा होते हुए पति ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी थी। आरोपी मोहम्मद नसीम खलील अंसारी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत दोषी पाया गया। जिसके बाद दोषी अंसारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। यह आदेश बीते मंगलवार मंगलवार को मुंबई की एक सत्र अदालत ने दिया है।

अतिरिक्त लोक अभियोजक रमेश सिरोया द्वारा प्रस्तुत किए गए तथ्यों के अनुसार अंसारी को 2019 में एक चोरी के मामले में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में जब जेल से रिहा होने के बाद वह 26 फरवरी 2020 की सुबह घर लौटा। उस दौरान उसकी अपनी पत्नी यास्मीन बानो से झगड़ा हो गया। झगड़ा होने से वह गुस्से में आ गया और पत्नी पर जेल में उससे मिलने न आने का आरोप लगाने लगा। जब एक पड़ोसी ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, तो उसने उसे अपने काम से काम रखने को कहा। जिसके वजह से पड़ोसी वहां से चला गया।

पड़ोसी के विरोध करने पर अंसारी उसे भी धमकाने लगा

पुलिस का आरोप है कि अंसारी उसी रात में लौटा और अपनी पत्नी के साथ फिर से मारपीट करने लगा। जब वह खुद को बचाने के लिए बाहर भागी, तो उसने उसका पीछा किया। पीछा करते हुए गलती से उसका पैर पड़ोसी के बच्चे पर पड़ गया। जब पड़ोसी ने विरोध किया तो अंसारी उसे भी धमकाने लगा। इसी बीच अंसारी ने अपनी पत्नी के बाल पकड़कर घसीटा और उसके पेट में दो लात मारी, जिससे वह गिर पड़ी। फिर उसने उस पर पत्थर से हमला किया और मौके से फरार हो गया। इसको लेकर नजदीकी सेवरी थाने में हत्या का मामला दर्ज किया गया।

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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एसआर नवंदर ने कहा, ‘आरोपी ने यह तर्क देने की कोशिश की कि उसकी पत्नी की मृत्यु एक मोटर वाहन दुर्घटना में हुई थी। इसके साथ ही वह घटना के समय अपने घर पर मौजूद था। घटना की जानकारी मिलने पर वह मौके पर पहुंचा और अन्य लोगों के साथ मृतक को अस्पताल पहुंचाया, जहां से पुलिस उसे थाने ले गई। हालांकि इस तर्क का प्रत्यक्षदर्शी की गवाही से स्पष्ट रूप से खंडन होता है।’

अंसारी ने दावा किया था कि चश्मदीद गवाह यानी जिस पड़ोसी ने बीच-बचाव किया था पुलिस द्वारा उद्धृत एक आदतन गवाह था और उसका उससे पहले भी विवाद हो चुका था। अदालत ने कहा कि अंसारी के पास उसे झूठा फंसाने का कोई कारण नहीं है। अदालत ने यास्मीन बानो को लगी चोटों की प्रकृति के बारे में चिकित्सकीय साक्ष्यों पर भी भरोसा किया।