Mumbai Billboard Collapse: मुंबई के घाटकोपर में आंधी की वजह से बिलबोर्ड के गिरने से अभी तक 14 लोगों की मौत हो गई है और 74 लोग घायल हो गए हैं। लाइसेंस फीस का भुगतान ना करने से लेकर पेड़ों के नुकसान तक अधिकारियों पर बिलबोर्ड के गिरने के बाद सवाल खड़े होने लग गए हैं। फिर इंडियन एक्सप्रेस के द्वारा रिकॉर्डों को खंगाला गया और प्रमुख अधिकारियों से बातचीत भी की गई। इसके बाद सामने आया कि इस अवधि के दौरान केवल तीन नोटिस जारी किए गए और कोई भी कार्रवाई नहीं की गई।
बता दें कि बीएमसी ने पहला नोटिस मार्च 2023 में लाइसेंस की फीस को लेकर जारी किया था। दूसरा इस साल 2 मई को पेड़ों को हुए नुकसान को लेकर और तीसरा 13 मई को जारी किया गया था। इसी दिन धूल भरी आंधी के बाद बिलबोर्ड गिर गया था। यह नोटिस ईगो मीडिया प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस जारी किए गए थे। इसी ने बिलबोर्ड को लगाया था। वहीं, जिस जमीन पर बिलबोर्ड लगाया गया था, वह इस समय महाराष्ट्र सरकार के पुलिस हाउसिंग वेलफेयर कॉर्पोरेशन के पास है।
बीएमसी ने जारी किए नोटिस
सोमवार को बीएमसी के द्वारा जारी नोटिस में कहा गया था कि यह विज्ञापन वाला बिलबोर्ड हमसे बिना इजाजत लिए ही लगा दिया गया था। यह मुंबई नगर निगम अधिनियम की धारा 388 के तहत उल्लंघन है। अधिकारियों ने कहा कि बिलबोर्ड गिरने से कुछ घंटे पहले नोटिस जारी किया गया था। होर्डिंग अप्रैल 2022 में लगाए गए थे और तब से एजेंसी पर 6.14 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस भी बकाया है। इसका अभी तक भुगतान नहीं किया गया है।
एगो मीडिया को जारी नोटिस में कहा गया कि आपको नोटिस मिलने के 10 दिनों के भीतर बकाया लाइसेंस फीस का भुगतान करने के लिए सूचित किया जाता है। इसके अलावा कहा कि परिसर में से सभी होर्डिंग्स को 10 दिनों के अंदर हटा दिया जाना चाहिए।
होर्डिंग लगाने के लिए पेड़ों को भी काटा गया
वहीं, बीएमसी ने 2 मई को जीआरपी को नोटिस जारी कर कहा कि हमें एक शिकायत मिली है जिसमें कहा गया है कि घाटकोपर में रेलवे पुलिस स्टाफ कॉलोनी में विज्ञापन देने वाली कंपनी ने होर्डिंग के बीच में आ रहे पेड़ों को काट दिया। इसके बाद हमारे गार्डन सेल के अधिकारियों ने इसकी जांच की और पंत नगर पुलिस स्टेशन में एगो मीडिया के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई थी। इसलिए आपको एगो मीडिया के खिलाफ कार्रवाई करने और उनका लाइसेंस रद्द करने का निर्देश दिया जाता है और बिलबोर्ड को भी तुरंत हटा दिया जाना चाहिए।
बीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि करते हुए कहा कि पहले और दूसरे नोटिस के बीच करीब 14 महीने का गैप था और अधिकारियों ने बिलबोर्ड पर कोई कार्रवाई नहीं की। हालांकि, मंगलवार को बीएमसी प्रमुख भूषण गगरानी ने कहा कि बीएमसी ने होर्डिंग के लिए कोई इजाजत नहीं दी है। पिछले दो सालों से बीएमसी इस मुद्दे पर नजर बनाए हुए है। हमारे ध्यान में यह भी लाया गया था कि होर्डिंग को लगाने के लिए कुछ पेड़ों को भी नुकसान पहुंचाया गया था।
बीएमसी के नियमों के मुताबिक एक होर्डिंग्स का अधिकतम साइज 40×40 फीट से ज्यादा नहीं होना चाहिए, इसको इस मामले में पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया। रिकॉर्ड यह भी बताते हैं कि होर्डिंग्स के बीच कम से कम 70 मीटर का अंतर होना चाहिए। यहां यह 50 मीटर से भी कम था। कंपनी ने इसकी स्थिरता को लेकर भी कोई रिपोर्ट जमा नहीं की थी। यह होर्डिंग लगाने के लिए जरूरी होती है।
जीआरपी ने जारी किया टेंडर
एक अधिकारी ने कहा कि रिकॉर्ड से पता चलता है कि जीआरपी ने बिलबोर्ड लगाने के लिए एक निजी एजेंसी के लिए 2020 में टेंडर जारी किया था। दिसंबर 2021 में बिलबोर्ड लगाने के लिए एगो मीडिया को चुना गया था। रेलवे पुलिस विज्ञापन होर्डिंग और होर्डिंग लगाने के लिए अपनी जमीन पट्टे पर देती है। इससे मिलने वाली रकम का इस्तेमाल पुलिसकर्मियों को राहत देने के लिए किया जाता है।