महाराष्ट्र के कई इलाकों में मंगलवार (2 जनवरी) को हुई हिंसा के बीच भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में दो लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। उधर, डॉ भीमराव अांबेडकर के पोते प्रकाश आंबेडकर ने कल यानी बुधवार को राज्यव्यापी बंद का ऐलान किया है। मुंबई और आसपास के इलाकों में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बीच मुंबई पुलिस के पीआरओ ने जानकारी दी है कि राज्य में विभिन्न जगहों से 100 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है। इससे पहले, कुछ जगहों पर धारा 144 लगाने की खबर भी आई थी। बता दें कि पुणे के नजदीक सोमवार (1 जनवरी) को भीम कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ मनाने जुटे लाखों दलितों की कुछ मराठा संगठनों से हिंसक झड़प होने के बाद एक शख्स की मौत हो गई थी।

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को हुई हिंसा के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए मामले में जांच की मांग की थी। शांति की अपील करते हुए पवार ने कहा कि राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों के लोगों को उत्तेजित करने वाले बयान दिए बगैर ही स्थिति का सामना संयम से करना चाहिए। पवार ने ट्वीट किया, ‘‘हिंसा सही नहीं है।’’ पूर्व केंद्रीय मंत्री ने अपील की, ‘‘प्रशासन के एहतियात नही बरतने की वजह से अफवाहें और गलतफहमी फैली। नांदेड़ में एक युवक का निधन दुर्भाग्यपूर्ण है। राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों के लोगों को उत्तेजित करने वाला कोई बयान दिए बगैर ही स्थिति का सामना सौहार्दपूर्वक एवं संयम से करना चाहिए।’’

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– भीमा-कोरेगांव में हिंसा के चलते ठाणे में चार जनवरी आधी रात तक धारा 144 लागू।

– इस मामले पर महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री दीपक केसरकार ने कहा कि स्थिति अब नियंत्रण में है। राज्य में कोई भी गलत संदेश नहीं फैलना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं सभी से शांति बनाए रखने की दरख्वास्त करता हूं।

– इससे पहले सैकड़ों की तादाद में गुस्साए लोगों ने मुलुंद, चेम्बुर, भांडुप, विख्रोली के रमाबाई आंबेडकर नगर और कुर्ला के नेहरू नगर में ट्रेन अॉपरेशंस को रोक दिया। पुणे के हड़पसर और फुर्सुंगी में बसों के साथ तोड़फोड़ की गई है। इसके चलते एहतियात के तौर पर अहमदनगर और औरंगाबाद जाने वाली बसों को रद्द कर दिया गया है।

– महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने मारे गए युवक के परिवार वालों को 10 लाख रुपए मुआवजा देने की भी घोषणा की। इस मामले पर केन्द्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा है कि उन्होंने मोरेगांव हिंसा को लेकर फडणवीस से बात की है। उन्होंने कहा, ”मैंने उनसे घटना की जांच कराने की मांग की और इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एक्शन लिए जाने के लिए भी कहा, ताकि ऐसी घटनाएं बार-बार न हों”। दूसरी ओर अतिरिक्त पुलिस आयुक्त लक्ष्मी गौतम ने कहा, ”यहां समूह में लोग मौजूद हैं, जो रास्ता रोकने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस अब तक उन्हें हटाने में कामयाब रही है”।

– रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र के थाणे में विरोध प्रदर्शन किया। सीएसएमटी-कुर्ला और मंखुर्द के बीच हरबौर रेलवे लाइन पर स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है। इसके अलावा केन्द्रीय रेलवे की बाकी सभी सेवाएं सामान्य ढंग से चालू हैं। हिंसा को देखते हुए मुंबई के चेंबूर इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।

-आज सुबह एनसीपी नेता शरद पवार ने ट्विटर पर स्थानीय प्रशासन को जमकर लताड़ लगाई। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन को मालूम था कि इतने लोग समारोह में मौजूद रहेंगे, लेकिन वह फिर भी स्थिति को काबू नहीं कर  पाया। चेम्बुर में शिव सेना शाखा अॉफिस के दरवाजे को प्रदर्शनकारियों ने तोड़ दिया है। इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्टर ने घटनास्थल से यह तस्वीर भेजी है।

 

-पुणे के हड़पसर और फुर्सुंगी में बसों के साथ तोड़फोड़ की गई है। इसके चलते एहतियात के तौर पर अहमदनगर और औरंगाबाद जाने वाली बसों को रद्द कर दिया गया है।

-पुलिस ने बताया कि किसी अप्रिय घटना से निपटने के लिए पहले ही वधु बुद्रुक गांव में सुरक्षाबल तैनात किया गया था। लेकिन सोमवार की सुबह सैकड़ों लोग (ज्यादातर मराठा समुदाय के) वधु बुद्रुक गांव में जमा हो गए। आशंका है कि ज्यादातर सोशल मीडिया पर आह्वान की वजह से जमा हुए थे। एक ग्रामीण के मुताबिक सुबह तक सब ठीक था, लेकिन दोपहर को कोरेगांव भीम और आसपास के सनसवाड़ी, शिकरापुर और अन्य जगहों से हिंसक झड़प की खबरें आने लगीं। पुलिस की गाड़ियां और फायर टेंडर समेत सैकड़ों वाहन फूंक दिए गए। इसके बाद घटनास्थल पर भारी पुलिसबल तैनात किया गया।

-सोमवार को मुख्य समारोह भीम कोरेगांव के जय स्तंभ पर शांतिपूर्वक चल रहा था, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पड़ोसी गांवों की ओर से हिंसक झड़प शुरू हो गई। पुलिस के मुताबिक दलित समुदाय के 5 लाख से ज्यादा लोग भीम कोरेगांव लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ मनाने के लिए पुणे शहर में जमा हुए थे। इस लड़ाई में ब्रिटिश सेनाओं ने 1 जनवरी 1818 को पेशवाओं की सेना को शिकस्त दी थी। हर साल एक जनवरी को हजारों दलित जयस्तंभ तक मार्च करते हैं। पिछले वर्षों पर नजर डालें को कभी हिंसा का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है। इस साल किसी अन्य झगड़े के कारण भीम कोरेगांव के आसपास के इलाकों में तनाव पसरा हुआ था।