माफिया मुख्तार अंसारी का शव गाजीपुर स्थित उसके आवास पर पहुंच चुका है। गाजीपुर में पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए हैं। मुख्तार अंसारी का शव आज सुबह 10 बजे दफनाया जाएगा। बड़ी बात ये है कि उसका बेटा अब्बास अंसारी अपने पिता के जनाजे में शामिल नहीं हो पाएगा, उसे सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। इस समय जेल की सजा काट रहा अब्बास पिता के जनाजे के लिए सुप्रीम कोर्ट से राहत चाहता था। लेकिन मामले की जल्द सुनवाई नहीं हुई और अब वो जेल में ही रहने वाला है।
अभी के लिए मुख्तार की मौत को लेकर न्यायिक जांच के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। विपक्ष के तमाम नेता इस समय मुख्तार की मौत पर सवाल उठा रहे हैं, इस बीच अब न्यायिक जांच भी होने जा रही है। ये अलग बात है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी हार्ट अटैक को ही मौत की वजह माना गया है। गुरुवार को जो मेडिकल रिपोर्ट सामने आई थी, उसमें भी साफ कहा गया था कि मुख्तार को पहले उल्टियां हुईं और फिर बाद में हार्ट अटैक आया और उसी वजह से उसकी मौत हुई।
लेकिन मुख्तार का परिवार अभी भी ये मानने को तैयार नहीं है। बेटा लगातार दावा कर रहा है कि पिता को स्लो पॉइजन दिया गया था। यहां तक दावा हुआ है कि मुख्तार ने खुद कई मौकों पर ऐसी शिकायत की थी कि उसे खाने में जहर देकर दिया जा रहा है। अभी के लिए प्रशासन ने ऐसे किसी भी दावे को सही नहीं माना है और परिवार की इच्छा के मुताबिक गाजीपुर में उसे दफनाने की तैयारी की जा रही है।
पोस्टमार्टम से संतुष्ट नहीं मुख्तार का परिवार
वैसे मुख्तार के दूसरे बेटे उमर अभी भी इस पोस्टमार्टम से संतुष्ट नहीं है, उन्होंने लिखित में दिया है कि एम्स के डॉक्टरों द्वारा ही उनके पिता का पोस्टमार्टम किया जाए। उनका साफ कहना है कि उन्हें यहां की मेडिकल टीम पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है।
मुख्तार की मौत की बात करें तो गुरुवार शाम उसकी तबीयत अचानक से बिगड़ गई थी। प्रशासन के मुताबिक वो अपने बैरक में बेहोश पड़ा मिला था। उसे वहां से तुरंत मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया था जहां पर डॉक्टरों की एक टीम ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की। लेकिन हार्ट अटैक की वजह से उसने दम तोड़ दिया और 63 साल की उम्र में उसकी मौत हो गई।
मुख्तार अंसारी के निजी जीवन की बात करें तो उसका जन्म 3 जून 1963 को गाजीपुर जिले में हुआ था। अंसारी के पिता का नाम सुभान अल्लाह अंसारी था और उनकी मां का नाम बेगम राबिया। बड़ी बात ये है मुख्तार अंसारी ने जरूर क्राइम का रास्ता पकड़ा था, लेकिन उसका परिवार काफी प्रतिष्ठित था। अंसारी के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी तो एक स्वतंत्रता सेनानी थे। बताया जाता है कि महात्मा गांधी के साथ 1926 और 27 में उन्होंने काफी करीबी से काम किया था। वही अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान 1947 की लड़ाई में शहीद हुए थे। ऐसे में यूपी का ये डॉन एक देशभक्त परिवार से आता था जिनका जुर्म की दुनिया से कोई लेना-देना नहीं था।