मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। बीजेपी को राज्य में 163 सीटें मिली हैं तो वहीं कांग्रेस को 66 सीटों पर जीत हासिल हुई है। चुनावों से पहले जब मध्य प्रदेश चुनावों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा हुई तो भाजपा के भीतर विरोध शुरू हो गया। इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति पर काबू पाने के लिए कई बैठकें कीं। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि अमित शाह ने असंतुष्ट नेताओं से सीधे बात की और उन्हें चुनाव नहीं लड़ने के लिए मना लिया। सूत्रों ने कहा कि उन्होंने पार्टी नेताओं को भाजपा के लिए कमजोर मानी जाने वाली सीटों पर गैर-कांग्रेसी उम्मीदवारों पर कड़ी नजर रखने की भी सलाह दी थी।
मध्य प्रदेश चुनाव में 27 ऐसी सीटें रहीं जहां राज्य के अहम छोटे दल तीसरे नंबर पर रहे और इससे बीजेपी को काफी फायदा हुआ। इनमे बीएसपी, सपा, जीजीपी, निर्दलीय और अन्य शामिल हैं।
बसपा ने कांग्रेस का दो क्षेत्रों में किया नुकसान
मायावती के नेतृत्व वाली बसपा ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड क्षेत्रों में कांग्रेस के लिए दुश्मन साबित हुई। कांग्रेस ने जहां सबसे पुरानी पार्टी नेयहां 14 सीटें जीतीं। इस क्षेत्र में कांग्रेस ने जो 7 सीटें गंवाईं, उनमें बसपा एक प्रमुख कारण रही। भिंड में पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह को पटवारी (राजस्व अधिकारी) घोटाले में कथित संलिप्तता के कारण टिकट नहीं मिला इसके बाद वो बसपा में शामिल हो गए। संजीव सिंह ने बसपा से टिकट लिया और 34,938 वोट हासिल किए। भाजपा के नरेंद्र सिंह कुशवाह और कांग्रेस के चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी के बाद तीसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस यहां 14,146 वोटों के अंतर से हार गई।
लहार में पूर्व नेता प्रतिपक्ष और 7 बार के विधायक कांग्रेस के गोविंद सिंह भाजपा के अंबरीश शर्मा से 12,397 वोटों से हार गए, जबकि बसपा उम्मीदवार रसाल सिंह 31,348 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (जिन्हें दिमनी में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा) अपने करीबी प्रतिद्वंद्वी बसपा के बलवीर सिंह दंतोदिया को 24,461 वोटों से हराने में कामयाब रहे, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार रवींद्र सिंह तोमर 24,006 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर खिसक गए। यहां भी बसपा ने डैमेज किया।
इसी तरह सुमावली में भाजपा उम्मीदवार ऐदल सिंह कंसाना ने कांग्रेस के अजब सिंह कंसाना को हराया, जो 55,289 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। जबकि इस सीट पर बसपा उम्मीदवार कुलदीप सिंह सिकरवार 56,500 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। सेवड़ा में कांग्रेस ओबीसी सेल के प्रदेश अध्यक्ष दामोदर सिंह ने टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) में शामिल हो गए। उन्होंने 29,042 वोट हासिल किए और कांग्रेस उम्मीदवार घनश्याम सिंह को नुकसान पहुंचाया, जो भाजपा के प्रदीप अग्रवाल से 2,558 वोटों के अंतर से हार गए।
मुंगावली और सबलगढ़ में कांग्रेस उम्मीदवार भाजपा से 5,422 और 9,805 वोटों के मामूली अंतर से हार गए, जबकि बसपा उम्मीदवारों को क्रमशः 15,340 और 51,153 वोट मिले।
बुंदेलखंड भाजपा का गढ़ बना रहा
भाजपा के गढ़ बुन्देलखंड में जहां जाति की राजनीति केंद्र में थी वहां कांग्रेस उन 7 सीटों पर हार गई जहां तीसरे दलों ने काफी वोट प्राप्त किये। छतरपुर में भाजपा की ललिता यादव ने मौजूदा विधायक आलोक चतुर्वेदी को 6968 वोटों से हराया, जबकि बसपा उम्मीदवार दिलमणि सिंह 14,184 वोट हासिल करने में सफल रहे। बागेश्वर धाम के मुख्य पुजारी धीरेंद्र शास्त्री के करियर को शुरू करने का श्रेय आलोक चतुर्वेदी को दिया जाता है।
चंदला में कांग्रेस के अनुरागी हरप्रसाद बीजेपी के अहिवार दिलीप से 15,491 वोटों से हार गए। यहां समाजवादी पार्टी (सपा) ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया जिसके उम्मीदवार अहिरवार पुष्पेंद्र कुमार को 24,977 वोट मिले। गुन्नौर में भाजपा के राजेश कुमार वर्मा ने कांग्रेस के जीवन लाल सिद्धार्थ को 1,160 के मामूली अंतर से हराया। बसपा प्रत्याशी देवीदीन को यहां छह हजार से भी कम वोट मिले। निवाड़ी में भाजपा ने कांग्रेस को 54,186 वोटों से हराया, जबकि सपा उम्मीदवार 32,670 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। इसी तरह एसपी ने जतारा में कांग्रेस का खेल बिगाड़ा होगा, जहां उसके उम्मीदवार को 15,034 वोट मिले, जिसके कारण बीजेपी 11,000 से अधिक वोटों से जीत गई।
बसपा पथरिया और राजनगर में भी भाजपा के लिए वरदान साबित हुई। यहां कांग्रेस के उम्मीदवारों को 18,159 और 5,867 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। यहां बीएसपी उम्मीदवारों को क्रमशः 29,339 और 32,195 वोट मिले थे। ऐसी कुल 27 सीटें रहीं जहां बीजेपी को गैर कांग्रेसी उम्मीदवारों के कारण जीत मिली।