इन दिनों राजनीति में भगवान हनुमान की जाति को लेकर जमकर चर्चा हो रही है। दरअसल उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान हनुमान को दलित बताया था, इसके बाद उनकी जाति को लेकर राजनीतिय बयानबाजी शुरू हो गई है। ऐसे में कोई उन्हें दलित बताता है तो कोई मुसलमान वहीं कोई उन्हें जाट बताता है। लेकिन अब भगवान हनुमान को सांसद कीर्ति आजाद ने चीनी बताया है।
क्या बोले कीर्ति आजाद
भगवान हनुमान को लेकर कीर्ति आजाद ने तंज कसते हुए कहा कि हनुमान जी चीनी थे। हर जगह ये अफवाह उड़ रही है कि चीनी लोग दावा कर रहे हैं कि हनुमान जी चीनी थे। बता दें कि भाजपा सांसद उदित राजे ने हनुमान को आदिवासी बताया था। हनुमान की जाति को लेकर भाजपा नेता कई तरह के बयान दे रहे हैं। गौरतलब है कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के धर्मार्थ कार्य मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने विधान परिषद में बहस के दौरान हनुमान जी को जाट बताया था। उन्होंने कहा था जो दूसरों को दिक्कत में देख खुद मैदान में कूद पड़ते हैं, वो जाट ही हो सकते हैं। इसलिए हनुमान जी जाट थे। हालांकि उनकी इस बात को सुनकर सदन में विपक्षी दलों ने हंगामा मचाना शुरू कर दिया था।
मुसलमान थे हनुमान
बता दें कि इससे पहले भाजपा विधायक बुक्कल नवाब ने भी हनुमान की जाति को लेकर अनोखा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि हनुमान मुस्लिम थे। इसलिए मुसलमानों के नाम रहमान, रमजान, फरहान, सुलेमान, सलमान, जिशान आदि रखे जाते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि उनकी सिर्फ जाति पर ही बात होती है। लेकिन उससे पहले ये देखना चाहिए कि वो किस धर्म के थे। मेरा मानना है कि वो मुसलमान थे।
लोकसभा सांसद कीर्ति आज़ाद ने हनुमान की जाति पर कसा तंज, हनुमान को बताया चीनी! देखिए @Supriya23bh की रिपोर्ट.#ReporterDiary
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क्षत्रिय हैं हनुमान
योगी के बयान के बाद हर कोई हनुमान जी की जाति का विवरण करने लग गया था। जिसमें राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने हनुमान को आदिवासी बताया था। जबकि बाबा रामदेव ने बताया कि हनुमान अष्ट सिद्धि के ज्ञानी होने के साथ-साथ क्षत्रिय भी हैं।
कैसे शुरू हुआ बयानों का सिलसिला
बता दें कि हनुमान जी की जाति को लेकर पहला बयान यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिया था। जिसमें उन्होंने 27 नवंबर को अलवर में चुनावी रैली में भाषण के दौरान हनुमान को दलित बताया था। उन्होंने कहा था कि हनुमान वनवासी, वंचित और दलित थे। उनके इस बयान के बाद सियासी गलियारों में उनका विरोध तेज हो गया था।