सरकार ने बुधवार को बताया कि सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीलैड्स) निधि को बहाल करने और उसे वित्त वर्ष 2025-26 तक जारी रखने को मंजूरी दे दी गई है। लोकसभा में भर्तृहरि महताब के प्रश्न के लिखित उत्तर में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने यह जानकारी दी। महताब ने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीलैड्स) को बहाल करने के फैसले के बारे में सवाल पूछा था।
सिंह ने बताया कि सरकार ने मौजूदा सांसद निधि (एमपीलैड) के दिशानिर्देश के अनुसार, एक किस्त में 2 करोड़ रुपए प्रति सांसद की दर से सांसद निधि की राशि निर्मुक्त करने के साथ वित्त वर्ष 2021-22 की शेष अवधि के दौरान सांसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीलैड) को पुनः बहाल करने का फैसला किया है।
उन्होंने बताया कि इसके साथ ही, 5 करोड़ रुपए प्रति सांसद की वार्षिक हकदारी के साथ वित्त वर्ष 2022-23 से वित्त वर्ष 2025-26 तक सांसद निधि को जारी रखने का अनुमोदन किया है।
मंत्री ने बताया कि इस पर वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 तक कुल वित्तीय परिव्यय 17,417 करोड़ रुपए आयेगा। उल्लेखनीय है कि सांसद निधि के तहत हर सांसद के लिए पांच करोड़ रुपये की वार्षिक राशि निर्धारित है। केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के चलते साल 2020 में सांसद निधि को निलंबित कर दिया था जिसे अब बहाल कर दिया गया है।
इससे पहले लोकसभा में कुछ सदस्यों ने मंगलवार को सरकार से आग्रह किया कि सांसद क्षेत्र विकास निधि (एमपीलैड) की राशि को बढ़ाया जाए, ताकि उनके संसदीय क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा विकास कार्य हो सकें। निचले सदन में 2021-22 की अनुदान की अनुपूरक मांगों के दूसरे बैच पर चर्चा में भाग लेते हुए सांसदों ने यह मांग उठाई।
द्रमुक के दयानिधि मारन ने सांसद क्षेत्र विकास निधि (एमपीलैड) को निलंबित किए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे सांसदों को बहुत दिक्कत हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार को सांसद निधि बहाल करने के साथ ही इसमें आवंटन भी बढ़ाना चाहिए। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के मिथुन रेड्डी ने कहा कि सांसद निधि में बढ़ोतरी की जाए ताकि क्षेत्र में जरूरी विकास कार्यों को पूरा किया जा सके।
शिवसेना के श्रीकांत एकनाथ शिंदे ने सरकार से आग्रह किया कि सांसद निधि की राशि में बढ़ोतरी की जाए और इसके साथ निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) को भी जोड़ा जा सकता है।