दिल्ली की एक अदालत ने जेल में बंद लोकसभा सदस्य इंजीनियर राशिद को संसद के मानसून सत्र में भाग लेने के लिए कस्टडी पैरोल दे दी है। अदालत ने सांसद को मंगलवार को 24 जुलाई से 4 अगस्त तक के लिए कस्टडी पैरोल पर रिहा कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश चंदर जीत सिंह ने पैरोल मंजूर की। फिलहाल विस्तृत आदेश का इंतजार है।
साल 2017 के टेरर फंडिंग मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद इंजीनियर राशिद साल 2019 से तिहाड़ जेल में कैद है। बारामूला के सांसद ने संसद सदस्य के रूप में अपने कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए अंतरिम जमानत या कस्टडी पैरोल पर रिहा करने का अनुरोध किया था। कस्टडी पैरोल के तहत कैदी को सशस्त्र पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में पैरोल पर रिहा किया जाता है।
कस्टडी पैरोल पर संसद सत्र में शामिल होने की अनुमति
राशिद के वकील ने पहले दलील दी थी कि उनके मुवक्किल को अंतरिम जमानत देकर संसद सत्र में शामिल होने की अनुमति दी जानी चाहिए। इंजीनियर राशिद ने 2024 के लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला को हराया था। वकील ने आगे कहा कि वैकल्पिक रूप से रशीद को यात्रा खर्च का भुगतान किए बिना कस्टडी पैरोल की अनुमति दी जा सकती है। एनआईए ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि अंतरिम जमानत नहीं दी जानी चाहिए और यात्रा खर्च का भुगतान करने के बाद ही कस्टडी पैरोल की अनुमति दी जा सकती है।
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इंजीनियर रशीद पर टेरर फंडिंग से जुड़े आरोप
बारामूला के सांसद पर आरोप है कि उसने जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों और आतंकी समूहों की फंडिंग की थी। एनआईए की FIR के अनुसार, रशीद का नाम व्यवसायी और सह-आरोपी जहूर वटाली से पूछताछ के दौरान सामने आया था। अक्टूबर 2019 में आरोपपत्र दाखिल होने के बाद, एक विशेष एनआईए अदालत ने मार्च 2022 में रशीद और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120B (आपराधिक साजिश), 121 (सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना) और 124A (राजद्रोह) के तहत और UAPA के तहत आतंकवादी कृत्यों और आतंकवाद के वित्त पोषण से संबंधित अपराधों के लिए आरोप तय किए थे। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स
(इनपुट-भाषा)