फिल्म अभिनेत्री दिया मिर्जा और बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी के बीच बुधवार को उस समय वाक् युद्ध छिड़ गया, जब लेखी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के इस बयान का समर्थन किया कि मदर टेरेसा की गरीबों की सेवा के पीछे लोगों का ईसाइयत में धर्मांतरण मुख्य उद्देश्य था।

लेखी यह दावा कर चुकी हैं कि मदर टेरेसा ने एक इंटरव्यू में स्वीकार किया था कि उनका काम लोगों को ईसाइयत के दायरे में लाना था।

मिर्जा, जिनके पिता एक कैथोलिक थे, ने ट्विटर पर लेखी को आड़े हाथों लिया।

33 वर्षीय अभिनेत्री ने ट्वीट किया, ‘‘मीनाक्षी लेखी को शर्म आनी चाहिए. आपने एक बयान, जिसकी निंदा की जानी चाहिए थी, को सही साबित करने के लिए किसी की आस्था और कार्य को विकृत किया।’’

उनकी इस टिप्पणी के बाद दोनो तरफ से शब्द बाण चलने लगे, जब इसके जवाब में लेखी ने जवाबी ट्वीट कर दिया, शर्म आपको आनी चाहिए जो तथ्यों को समझना नहीं चाहते और सत्य को स्वीकार नहीं करना चाहते।’’ अभिनेत्री ने जवाब दिया, ‘‘मेरा सिर शर्म से झुक गया।’’

मिर्जा के इस बयान पर एक यूजर ने पोस्ट किया, ‘‘आप जैसे लोगों से इससे ज्यादा और उम्मीद भी क्या की जा सकती है। आपका चरित्र क्या है?’’

इस पर दिया का जवाब आया, ‘‘मेरे पिता कैथोलिक थे, मेरी मां एक बंगाली है, मुझे मेरे सौतेले मुस्लिम पिता ने पाला पोसा और मैंने एक हिंदू से विवाह किया है. मैं एक भारतीय हूं.’’

गैर सरकारी संगठन ‘अपना घर’ की ओर से आयोजित समारोह में भागवत ने कहा था, ‘‘मदर टेरेसा की सेवा अच्छी रही होगी. परंतु इसमें एक उद्देश्य हुआ करता था कि जिसकी सेवा की जा रही है उसका ईसाई धर्म में धर्मांतरण किया जाए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘सवाल सिर्फ धर्मांतरण का नहीं है लेकिन अगर यह (धर्मांतरण) सेवा के नाम पर किया जाता है तो सेवा का मूल्य खत्म हो जाता है.’’

भागवत ने कहा, ‘‘परंतु यहां (एनजीओ) उद्देश्य विशुद्ध रूप से गरीबों और असहाय लोगों की सेवा करना है.’’ सरसंघचालक यहां से करीब आठ किलोमीटर दूर बजहेरा गांव में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. गांव में उन्होंने ‘महिला सदन’ और ‘शिशु बाल गृह’ का उद्घाटन किया.