‘यह मेरे लिए जीत की तरह ही है’…यह शब्द पूर्वी दिल्ली में रहने वाली किस्मतुन के हैं। जिन्हें अपने बेटे फैजान की मौत के मामले में चार साल की कानूनी लड़ाई की थकावट के बाद थोड़ी राहत मिली है।
फरवरी-2020 में हुए दिल्ली दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें पुलिस के कुछ जवान फैजान और चार अन्य लोगों को पीटते हुए दिखाई दे रहे थे।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक वीडियो में सुना जा सकता था कि पुलिस के जवान उन्हें राष्ट्रगान गाकर देशभक्ति साबित करने के लिए कह रहे थे। हालांकि 28 फरवरी को एफआईआर दर्ज की गई थी, लेकिन उसमें वीडियो का जिक्र नहीं किया गया था। यह मामला सामने आने के दो दिन बाद 23 वर्षीय फैजान की अस्पताल में मौत हो गई थी।
अब दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को 23 साल के फैजान की हत्या का केस केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी CBI को सौंप दिया है। यही फैजान की मां के लिए जीत के लम्हे की तरह है। इंडियन एक्सप्रेस ने किस्मतुन से बातचीत की है।
अदालत ने क्या कहा?
दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 जुलाई किस्मतुन की एक याचिका (जिसमें अदालत की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की गई थी) पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को फैजान की मौत की जांच करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने इस बात को अंडरलाइन किया कि पुलिसकर्मियों की कार्रवाई एक हेट क्राइम के बराबर है जो धार्मिक कट्टरता से प्रेरित लगती है, इसलिए इस मामले की जांच तेजी से की जाए। मामले की सुनवाई जस्टिस अनूप भंभानी की बेंच कर रही थी।
‘उसे याद करके दिल दुखता है’
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कर्दमपुरी इलाके में रह रहीं किस्मतुन कहती हैं कि फैजान की मौत के चार साल बाद भी उनके दिल में फैजान के बारे में सोचकर दर्द होता है।
वह कहती हैं, “मुझे लगता है कि मेरे सीने में घबराहट बढ़ रही है। उसकी मौत के बाद मैं काफी देर तक सो नहीं पाई। मेरे सीने में दर्द होता था और सांस फूलती थी।”
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 24 फरवरी, 2020 को दोपहर करीब 3 बजे फैजान गाजीपुर मंडी से घर आया था, उस वक़्त मां (किस्मतुन) घर पर नहीं थी। दंगे के हालात बन चुके थे और बीजेपी नेता कपिल मिश्रा की ‘भड़काऊ’ चेतावनी के बाद इलाके में हालात खराब हो रहे थे। वह अपनी मां के घर में ना होने से परेशान होकर उन्हें खोजने बाहर निकला था।
फैजान की 36 साल की बहन शाजिया कहती हैं, “हमारे घर से करीब 300 मीटर दूर कर्दमपुरी पुलिया पर कुछ पुलिसकर्मी उसे और कुछ अन्य लोगों को घसीटकर पास के मोहल्ला क्लिनिक (यमुना विहार में) ले गए और उनकी पिटाई शुरू कर दी।”
फैजान की बहन के मुताबिक इसके बाद पुलिसकर्मी फैजान और अन्य लोगों को जीटीबी अस्पताल ले गए, जहां उसने एक पड़ोसी को पहचान लिया और उससे अपने परिवार को जानकारी देने के लिए कहा। आखिरकार परिवार को रात 9 बजे फैजान से बात करने का मौका मिला। किस्मतुन कहती हैं कि वह अस्पताल पहुंचीं लेकिन तब तक फैजान को ज्योति नगर पुलिस स्टेशन ले जाया जा चुका था।
“मैं वहां पहुंची और पुलिस से अपने बेटे से मिलने की इजाज़त देने की गुहार लगाई। उन्होंने मुझे यह कहते हुए भगा दिया कि मैं अपने दंगाई बेटे से मिलने की जिद क्यों कर रही हूं।” किस्मतुन आगे कहती हैं कहती हैं, “मैं डरी हुई थी लेकिन मुझे अपने बेटे को देखना था, उसे किसी तरह घर लाना था। लेकिन पुलिस धमका कर मुझे फिर भगा दिया। उन्होंने कहा कि अगर मैंने कोई परेशानी पैदा की तो वे मुझे बंद कर देंगे।”
उस रात बाद में परिवार को बताया गया कि वे ज्योति नगर पुलिस स्टेशन से फैजान को वापस ला सकते हैं।
जब फैजान को पुलिस स्टेशन से घर लाया गया तो उन्होंने जो कुछ देखा, उसे वे भूल नहीं पा रही हैं। वह बताती हैं कि फैजान के शरीर का एक इंच भी ऐसा नहीं था जो चोटों से भरा न हो। हर जगह लाठियों के निशान थे।
“वह बहुत दर्द में था। लेट नहीं सकता था और न ही बैठ सकता था। उसकी गर्दन पर चोट के निशान थे जिससे उसे पानी भी पीना मुश्किल हो गया था। वह पूरी रात सो नहीं पाया और हम उसे अगली सुबह डॉक्टर के पास ले गए।” वह याद करती है कि कैसे जब फैजान एलएनजेपी अस्पताल के वार्ड में अपने बिस्तर पर लेटा था, तो उसकी सांस फूल रही थी।
किस्मतुन ने बेटे के साथ हुई आखिरी बातचीत का ज़िक्र करते हुए बताया,“मैं उससे पूछती रहती थी कि वह कैसा है। जब वह मेरे सवालों से तंग आ गया तो उसने मुझसे कहा कि कुछ मत पूछो, मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं है।”
किस्मतुन ने बताया,”26 फरवरी की रात 10 बजे तक, फैजान मुश्किल से बोल पा रहा था। लेकिन उसने मुझसे कहा कि डॉक्टर ने कहा है कि मेरी हड्डियाँ नहीं टूटी हैं। मैं जल्द ही ठीक हो जाऊँगा, मम्मी’। ये उसके आखिरी शब्द थे।”
फैजान के मामले की जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा की जा रही थी। वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर द्वारा प्रतिनिधित्व की गई किस्मतुन ने SIT द्वारा नए सिरे से जांच की मांग करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया था, हाईकोर्ट ने CBI से इस मामले की जांच करने के लिए कहा।